जानिए बांसुरी के बिना क्यों अधूरे हैं श्रीकृष्ण?

भगवान श्रीकृष्ण विष्णु के आठवें अवतार हैं. भगवान श्रीकृष्ण को बांसुरी अत्यंत प्रिय रही है.

Update: 2022-07-20 12:45 GMT

भगवान श्रीकृष्ण विष्णु के आठवें अवतार हैं. भगवान श्रीकृष्ण को बांसुरी अत्यंत प्रिय रही है. हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, बिना बांसुरी के श्रीकृष्ण अधूरे हैं. श्रीकृष्ण की बांसुरी की मधुर धुन सुनकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता था. बताया जाता है कि बांसुरी से निकले अमृतस्वर से सिर्फ मनुष्य ही नहीं, बल्कि मवेशी भी काफी आकर्षित होते ​थे. श्रीकृष्ण की बांसुरी को लेकर कई पौराणिक कहानियां हैं. आइये जानते हैं पंडित इंद्रमणि घनस्याल से श्रीकृष्ण की बांसुरी से जुड़ी कई रोचक बातें.

कहां से आई, श्री कृष्ण को किसने दी बांसुरी?
पौराणिक कहानी के अनुसार, द्वापर युग में भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में अपना आठवां अवतार लिया था. भगवान श्रीकृष्ण को देखने के लिए सभी देवी-देवता धरती पर आए. इस दौरान भगवान शिव श्रीकृष्ण को उपहार में कुछ देने के लिए मंथन करने लगे.
तब शिवजी ने ऋषि दधीचि की महाशक्तिशाली हड्डी को घिसकर बांसुरी का निर्माण किया और गोकुल पहुंचे. भगवान शिव ने उस बांसुरी को श्रीकृष्ण को भेंट की. कहा जाता है कि इस तरह से श्रीकृष्ण को बांसुरी प्राप्त हुई थी.
शुभ है श्री कृष्ण की बांसुरी
1- ज्योतिष के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण की बांसुरी शुभ होती है. कान्हा की बांसुरी को घर पर सही जगह रखने से परिवार में सुख-समृ​द्धि का संचार होता है.
2- कहा जाता है कि बांसुरी को हाथ में लेकर हिलाने से बुरी शक्तियों का प्रभाव समाप्त होता है.
3- इसके अलावा अगर नौकरी मिलने में भी बाधा आ रही है तो बांसुरी से उसकी मुश्किलें आसान हो सकती हैं.
4- वास्तु शास्त्र के मुताबिक, बांसुरी को कमरे के दरवाजे के ऊपर या सिराहने रखने से परिवार में खुशियों का माहौल बना रहता है.
5- घर में बांसुरी रखने से मानसिक तनाव दूर होता है. घर व प्रतिष्ठान के मुख्य द्वार पर बांसुरी लटकाने से घर में सुख-समृद्धि और व्यापार में उन्नति होती है.


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