जानिए सप्तमात्रिरिका का उल्लेख महाशक्ति की सककारी सात देवियों से क्यों किया गया है

Update: 2024-06-26 09:59 GMT
सप्तमातृका:- Saptmaatrika: -
हिन्दुओं के शाक्त सम्प्रदाय में सप्तमात्रिरिका का उल्लेख महाशक्ति की सककारी सात देवियों के लिये हुआ है। ये देवियाँ ये हैं these are the ladies- ब्रह्माणी, वैष्णवी, माहेश्वरी, इन्द्राणी, कौमारी, वाराही और चामुण्डा अथवा नारसिंही। इन्हें 'मातृका' या 'मातर' भी कहते हैं।
किसी-किसी सम्प्रदाय में मातृकाओं की संख्या आठ (अष्टमातृका) बतायी गयी है। नेपाल में अष्टमातृकाओं की पूजा होती है
 The Eight Mother Goddesses are worshipped in Nepal.
दक्षिण भारत में सप्तमातृकाएँ ही पूजित हैं। कुछ विद्वान उन्हें शैव देवी मानते हैं।
यह सबसे पुराना संस्कृत शिलालेख आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के चेब्रोलू गाँव में पाया गया है। स्थानीय भीमेश्वर मंदिर के जीर्णोद्धार और मरम्मत के दौरान यह शिलालेख प्राप्त हुआ था। इस शिलालेख में संस्कृत और ब्राह्मी वर्ण हैं, इसे सातवाहन वंश के राजा विजय द्वारा 207 ईसवी में जारी किया गया था
 It was issued by King Vijaya of the Satavahana dynasty in 207 AD
मत्स्य पुराण के अनुसार, राजा विजय सातवाहन वंश के 28वें राजा थे, इन्होंने 6 वर्षों तक शासन किया था।
इस शिलालेख में एक मंदिर तथा मंडप के निर्माण के बारे में वर्णन किया गया है। इस अभिलेख में कार्तिक नामक व्यक्ति को ताम्ब्रापे नामक गाँव में, जो कि चेब्रोलू गाँव का प्राचीन नाम था, सप्तमातृका मंदिर के पास प्रासाद (मंदिर) व मंडप बनाने का आदेश दिया गया है।
इस संस्कृत शिलालेख से पहले इक्ष्वाकु राजा एहवाल चंतामुला द्वारा चौथी सदी में जारी नागार्जुनकोंडा शिलालेख को दक्षिण भारत में सबसे पुराना संस्कृत शिलालेख माना जाता था।
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