जानिए रक्षाबंधन पर भद्रा के समय क्यों नहीं बांधी जाती राखी

भाई बहन के प्यार का प्रतिक रक्षाबंधन इस साल 11 अगस्त 2022, दिन गुरुवार को है। ये पावन पर्व हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।

Update: 2022-06-21 06:24 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।  भाई बहन के प्यार का प्रतिक रक्षाबंधन इस साल 11 अगस्त 2022, दिन गुरुवार को है। ये पावन पर्व हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर सुंदर राखियां बांधती हैं, उनकी लंबी आयु की कामना करती हैं और उनसे जीवनभर अपनी रक्षा का वचन लेती हैं। वहीं भाई प्रेमरूपी रक्षा धागे को बंधवा कर बहन की उम्र भर रक्षा करने का संकल्प लेते हैं और बहनों को उपहार देते हैं। रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है, लेकिन रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने के समय भद्राकाल और राहुकाल का विशेष ध्यान दिया जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, भद्राकाल में राखी बांधना शुभ नहीं माना जाता है। इसलिए रक्षाबंधन के दिन भद्राकाल का विशेष ध्यान दिया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस दिन भद्रा समय और राखी बांधने का शुभ मुहूर्त क्या है...

रक्षाबंधन 2022 तिथि
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष सावन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 11 अगस्त दिन गुरुवार को सुबह 10 बजकर 38 मिनट से हो रही है। ये तिथि अगले दिन 12 अगस्त शुक्रवार को सुबह 07 बजकर 05 मिनट तक रहेगी। ऐसे में इस साल रक्षाबंधन 11 अगस्त को मनाया जाएगा।
रक्षाबंधन 2022 भद्रा का समय
रक्षाबंधन वाले दिन राखी बांधने के लिए भद्राकाल और राहुकाल का विशेष ध्यान दिया जाता है। मान्यता है कि भद्राकाल में राखी बांधना शुभ नहीं होता है।
भद्रा का समय- सुबह 10 बजकर 38 मिनट से रात 08 बजकर 50 मिनट तक
भद्रा पूंछ- शाम 05 बजकर 17 मिनट से शाम 06 बजकर 18 मिनट तक
भद्रा मुख- शाम 06 बजकर 18 मिनट से रात 08:00 बजे तक
भद्रा का समापन: रात 08:51 बजे
रक्षाबंधन 2022 राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
रवि योग में रक्षाबंधन- प्रात: 05 बजकर 48 मिनट से सुबह 06 बजकर 53 मिनट तक
रक्षाबंधन का प्रदोष मुहूर्त- रात 08 बजकर 51 मिनट से रात 09 बजकर 13 मिनट तक
आयुष्मान योग- प्रात: काल से दोपहर 03 बजकर 32 मिनट तक
ऐसे में इस दिन बहनें भद्रा प्रारंभ होने के पूर्व राखी बांध सकती हैं।
क्या होती है भद्राकाल?
रक्षाबंधन के पर्व पर भद्राकाल का विशेष ध्यान रखा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भद्रा में राखी न बंधवाने के पीछे एक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार, लंका के राजा रावण ने अपनी बहन से भद्रा के समय ही राखी बंधवाई थी। भद्राकाल में राखी बांधने के कारण ही रावण का सर्वनाश हुआ था। इसी मान्यता के आधार पर जब भी भद्रा लगी रहती है उस समय बहनें अपने भाइयों की कलाई में राखी नहीं बांधती है। इसके अलावा भद्राकाल में भगवान शिव तांडव नृत्य करते हैं इस कारण से भी भद्रा में शुभ कार्य नहीं किया जाता है।
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