जानिए क्यों सुहागिन महिलाओं को नहीं करना चाहिए मां धूमावती के दर्शन

ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मां धूमावती जयंती मनाई जाती है। आज के दिन ही पार्वती माता का धूमावती देवी स्वरूप सामने आया था। इसी कारण इसे धूमावती जयंती के रूप में मनाया जाता है।

Update: 2022-06-08 04:32 GMT

ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मां धूमावती जयंती मनाई जाती है। आज के दिन ही पार्वती माता का धूमावती देवी स्वरूप सामने आया था। इसी कारण इसे धूमावती जयंती के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि धूमावती जयंती के दिन मां की पूजा विधि-विधान से करने से हर मनोकामना पूर्ण करने के साथ रोग, दरिद्रता और दोष से छुटकारा दिलाती हैं। वहीं मान्यताओं को अनुसार, सुहागिन महिलाओं को मां धूमावती के दर्शन करने की मनाही होती है। जानिए इसके पीछे का कारण।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां धूमावती मां पार्वती का विधवा स्वरूप है। इस कारण सुहागिन महिलाओं को इनकी पूजा और दर्शन करने की मनाही है। जानिए कथा के बारे में।

मां धूमावती माता पार्वती की उग्र स्वरूप हैं। यह विधवा, कुरूप, खुले हुए केश, दुबली पतली, सफेद साड़ी पहने हुए रथ पर सवार रहती हैं। इनको अलक्ष्मी भी कहते हैं। एक बार माता पार्वती को बहुत तेज भूख लगी। उन्होंने भगवान शिव से भोजन के लिए कहा, तो उन्होंने तत्काल व्यवस्था करने की बात कही। लेकिन काफी समय बीत जाने के बाद भी भोजन नहीं आया।

इधर भूख से व्याकुल माता पार्वती भोजन की प्रतीक्षा कर रही थीं। जब भूख बर्दाश्त नहीं हुई, तो उन्होंने भगवान शिव को ही निगल लिया। ऐसा करते ही उनके शरीर से धुआं निकलने लगा। भगवान शिव उनके उदर से बाहर आ गए और कहा कि तुमने तो अपने पति को ही निगल लिया। अब से तुम विधवा स्वरूप में रहोगी और धूमावती के नाम से प्रसिद्ध होगी।

यहां स्थित है मां धूमावती का मंदिर

भारत में मां धूमावती का इकलौता मंदिर मध्यप्रदेश के दतिया में स्थित है। इस मंदिर में भी मां धूमावती के दर्शन सुहागिन महिलाएं नहीं कर सकती हैं। इस मंदिर में सिर्फ पुरुषों और कुंवारी कन्याओं को दर्शन करने की इजाजत है। मां के दर्शन सिर्फ शनिवार के दिन ही मिलते हैं। इसके अलावा हमेशा पर्दा पड़ा रहता है।


Tags:    

Similar News

-->