पूरे विश्व में आज कई सौंदर्य प्रतियोगितायें होती है जिनमें महिलाये काफी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेती हैं। इन प्रतियोगिताओ में अलग अलग मापदंड अपनाये जाते हैं।
प्राचीन भारत के कई हिस्सों में भी इसी तरह की सौंदर्य प्रतियोगिताए बड़े बड़ेनगरों में हुआ करती थी। जिसमे नगर ही सुंदर स्त्रियां भाग लेती थी। सबसे सुंदर स्त्री को नगर वधु का ख़िताब दिया जाता था।यह नगर वधु लोगो के लिए मनोरंजन का कार्य करती थी और बदले में मेहनताना लेती थी। एक प्रकार से कहें तो उस समय प्राचीन भारत में वेश्यालयों और इस तरह के दैहिक व्यापर को मान्यता मिली हुयी थी।
नगर वधु का सम्मान रानी के बराबर होता था लेकिन नगर वधु वेश्या होती थी और धनाड्य वर्ग का मनोरंजन करती थी। अपनी प्रस्तुति के लिए नगरवधू का एक रात कामेहनताना काफी अधिक होता था जिसके कारण राजा और धनपति ही मनोरंजन कर सकते थे।बुद्ध के काल में वैशाली की नगरवधू आम्रपाली का वर्णन आचार्य चतुरसेन ने किया है। कहा जाता है आम्रपाली के माता पिता का कोई पता नही था पर इसके लालन पालन करने वाले लोगो को आम के पेड़ के नीचे मिली थी जिसके कारण इसका नाम आम्रपाली रखा गया।
बुद्ध के संपर्क में आने से आम्रपाली बौद्ध भिक्षु बन गयी और सन्यास गृहण कर लिया।