जानिए कौन हैं 10 महाविद्या और क्या हैं इनके मंत्र का महत्व

Update: 2022-02-09 04:41 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पटना: Gupta Navratri 2022: गुप्ता नवरात्रि का पर्व माता की विशेष साधना का पर्व है. मां दुर्गा के दसो रूपों को दसमहाविद्या के रूप में जाना जाता है. तंत्र क्रिया या सिद्धि प्राप्ति के लिए इन 10 महाविद्याओं का विशेष महत्व होता है.

इनके नाम हैं - काली, तारा, छिन्नमस्ता, षोडशी, भुवनेश्वरी, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी व कमला. प्रत्येक रूप का अपना नाम, कहानी,गुंण, और मंत्र हैं.
काली
सबसे पहले माता सती ने मां काली का रूप धारण किया उनका वह रूप भयभीत करने वाला था. उनका रंग काला और केस खुले और उलझे हुए थे. उनकी आंखों में गहराई थी और भौहें तलवार की तरह प्रतीत हो रही थी. कपालों की माला धारण किए हुए उनकी गर्जना से दसों दिशाएं भयंकर ध्वनि से भर गई.
मां काली का उल्लेख और उनके कार्यों की रूपरेखा चंडी पाठ में दी गई है.
काली मंत्र - ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं परमेश्वरि कालिके स्वाहा
तारा
श्री तारा महाविद्या इस सृष्टि के केंद्रीय सर्वोच्च नियामक और क्रिया रूप दसमहाविद्या में से द्वितीय विद्या के रूप में सुसज्जित हैं.
इनका रंग नीला है और इनकी जीभ बाहर को है जो भय उत्पन्न करती है और वह एक बाघ की खाल पहने हुए हैं. इनकी तीन आंखें हैं.
शक्ति का यह स्वरूप सर्वदा मोक्ष प्राप्त करने वाला तथा अपने भक्तों को समस्त प्रकार से घोर संकटों से मुक्ति प्रदान करने वाला है.
तारा मंत्र - ऊँ ह्नीं स्त्रीं हुम फट
मां षोडशी
10 महाविद्या में मां षोडशी भगवती का तीसरा स्वरूप है. जिन्हें त्रिपुरसुंदरी भी कहा गया है.
भगवान सदाशिव की तरह मां त्रिपुर सुंदरी के भी चार दिशाओं में चार और एक ऊपर की ओर मुख होने से तंत्र शास्त्रों में पंचवक्त्र अर्थात पांच मुख वाली कहा गया है.
षोडशी साधना सुख के साथ-साथ मुक्ति के लिए भी की जाती है. त्रिपुर सुंदरी साधना, शरीर, मन, और भावनाओं को नियंत्रण करने की शक्ति प्रदान करती हैं.
षोडशी मंत्र - ऐ ह्नीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नम:
मां भुवनेश्वरी
मां भुवनेश्वरी चौथी महाविद्या है. भुवन का अर्थ है ब्रह्मांड और ईश्वरी का अर्थ है शासक इसीलिए वे ब्रह्मांड की शासक हैं. वे राज राजेश्वरी के रूप में भी जानी जाती हैं और ब्रह्मांड की रक्षा करतीं हैं.
वे कई पहलुओ में त्रिपुर सुंदरी से संबंधित है. माँ भुवनेस्वरी को आदि शक्ति के रूप में जाना जाता है यानी शक्ति के शुरुआती रूपों में से एक हैं.
यह शाकम्भरी के नाम से भी प्रसिद्ध है.
भुवनेश्वरी मंत्र - ह्नीं भुवनेश्वरीयै ह्नीं नम:
मां भैरवी
10 महाविद्याओं में मां भैरवी पांचवा स्वरूप हैं. भैरवी देवी का एक क्रुद्ध और दिल दहला देने वाला रूप है जो प्रकृति में मां काली से शायद ही अभी वाच्य है.
देवी भैरवी भैरव के समान ही हैं जो भगवान शिव का एक उग्र रूप है जो सर्वनाश से जुड़ा हुआ है.
भैरवी मंत्र - ह्नीं भैरवी क्लौं ह्नीं स्वाहा:
छिन्नमस्तिका
10 महाविद्या देवी का छठा स्वरूप है उन्हें प्रचंड चंडिका के नाम से भी जाना जाता है.
छिन्नमस्तिका देवी के हाथ में अपना ही कटा हुआ सिर है तथा दूसरे हाथ में कटार है.
देवी छिन्नमस्ता की उत्पत्ति के बारे में कई कहानियां हैं और कई पुराणों में भी इनका अलग-अलग उल्लेख है और उनकी मानें तो देवी ने कोई बड़ा और महान कार्य पूरा करने के लिए ही यह रूप धरा था.
छिन्नमस्तिका मंत्र - श्रीं ह्नीं ऎं वज्र वैरोचानियै ह्नीं फट स्वाहा
मां धूमावती
मां धूमावती दसमहाविद्या का सातवां स्वरूप है विशेषताओं और प्रकृति में उनकी तुलना देवी अलक्ष्मी, देवी जेष्ठा और देवी नीर्ती के साथ की जाती है. ये तीनो देवियां नकारात्मक गुणों का अवतार हैं लेकिन साथ ही वर्ष के एक विशेष समय पर उनकी पूजा भी की जाती है.
देवी धूमावती की साधना अत्यधिक गरीबी से छुटकारा पाने के लिए की जाती है.
शरीर को सभी प्रकार के रोगों से मुक्त करने के लिए भी उनकी पूजा की जाती है.
धूमावती मंत्र - ऊँ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा:
मां बगलामुखी
बगलामुखी 10 महाविद्याओं में 8वीं महाविद्या है और इनको स्तंभन शक्ति की देवी भी माना जाता है.
सौराष्ट्र में प्रकट हुए महा तूफान को शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने तपस्या की थी और इसी तपस्या के फलस्वरूप मां बगलामुखी का प्राकट्य हुआ था.
मां बगलामुखी को पितांबरा के नाम से भी जाना जाता है. पितांबरा आत्मा का ऐसा स्वरूप है जो पीत अर्थात पीला वस्त्रों से, पीत आभूषणों से, स्वर्ण आभूषणों से, और पीत पुष्पों से सुसज्जित है.
बगलामुखी मंत्र- ऊँ ह्नीं बगुलामुखी देव्यै ह्नीं ओम नम: (1)
ह्मीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलम बुद्धिं विनाशय ह्मीं ॐ स्वाहा (2)
देवी मातंगी
महाविद्याओं में 9वीं देवी मातंगी वैदिक सरस्वती का तांत्रिक रूप है और श्री कुल के अंतर्गत पूजी जाती हैं.
यह सरस्वती ही हैं और वाणी, संगीत, ज्ञान, विज्ञान, सम्मोहन, वशीकरण, मोहन की अधिष्ठात्री हैं. इंद्रजाल विद्या जादुई शक्ति में देवी पारंगत है साथ ही वाक् सिद्धि संगीत तथा अन्य ललित कलाओं में निपुण है.
मातंगी मंत्र - ऊँ ह्नीं ऐ भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा:
देवी कमला
देवी कमला 10 महाविद्याओं में दसवीं देवी हैं. देवी कमला को देवी का सबसे सर्वोच्च रूप माना जाता है जो उनके सुंदर पहलु को पूर्णता दर्शाता है. उनकी केवल देवी लक्ष्मी के साथ तुलना ही नहीं की जाती है बल्कि इन्हे देवी लक्ष्मी के रूप में भी पूजा जाता है.
इन्हे तांत्रिक लक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है.


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