जानिए वट पूर्णिमा के दिन किन नियमों का पालन करना चाहिए

हर साल ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि को वट पूर्णिमा का व्रत (Vat Purnima Vrat 2022) रखा जाता है. दांपत्य जीवन की खुशी और पति की लंबी उम्र के लिए विवाहित महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं

Update: 2022-06-12 06:04 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हर साल ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि को वट पूर्णिमा का व्रत (Vat Purnima Vrat 2022) रखा जाता है. दांपत्य जीवन की खुशी और पति की लंबी उम्र के लिए विवाहित महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं. इस साल वट पूर्णिमा का व्रत मंगलवार 14 जून को रखा जाएगा. वट पूर्णिमा व्रत के दिन वट वृक्ष, सावित्री और सत्यवान की पूजा की जाती है. इस व्रत से पहले ज्येष्ठ अमावस्या को वट सावित्री व्रत रखा जाता है. वट सावित्री व्रत उत्तर भारत में रखा जाता है. वहीं वट पूर्णिमा व्रत महाराष्ट्र और गुजरात समेत दक्षिण भारत के राज्यों में रखा जाता है. वट पूर्णिमा व्रत के दौरान कुछ नियमों का पालन किया जाता है. आइए जानें इस व्रत के नियम और महत्व.

वट पूर्णिमा 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 13 जून सोमवार रात 9 बजकर 2 मिनट पर होगी. ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा तिथि का समापन 14 जून, मंगलवार को शाम 05 बजकर 21 मिनट पर होगा.
वट पूर्णिमा 2022 शुभ मुहूर्त
14 जून को सुबह 11 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक शुभ मुहूर्त है.
वट पूर्णिमा उपवास के नियम और अनुष्ठान
इस व्रत को रखने वाली महिलाओं को वट पूर्णिमा व्रत के दिन नीले, काले या सफेद कपड़े नहीं पहनने चाहिए.
इस दिन काले, नीले और सफेद रंग की चूड़ियां भी नहीं पहननी चाहिए.
वट पूर्णिमा का व्रत जो महिलाएं पहली बार रख रही हैं, उन्हें पूजा के दौरान मायके की सुहाग सामग्रियों का इस्तेमाल करना चाहिए.
वट पूर्णिमा व्रत की पूजा के समय महिलाओं को कथा का पाठ जरूर करना चाहिए. ऐसा करने से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
वट सावित्री पूर्णिमा का महत्व
इन दिन महिलाएं पति की लंबी आयु और संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत को रखती हैं. इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है. बरगद के पेड़ की आयु बहुत लंबी होती है. ऐसा माना जाता है कि बरगद के पेड़ की पूजा करने से पति की आयु बरगद के पेड़ की तरह ही लंबी होती है. महिलाएं बरगद के पेड़ की 7 परिक्रमा लगाती हैं. ऐसा माना जाता है कि सावित्री ने बरगद के नीचे बैठकर तपस्या की थी और अपने पति के प्राणों की रक्षा की थी. ऐसा माना जाता है कि बरगद में शिव, ब्रह्मा और विष्णु भगवान का वास होता है. ये व्रत सुहागन महिलाओं के लिए बहुत महत्व रखता है. इस दिन व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
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