जानिए देश में कहां-कहां है मां बगलामुखी के प्रसिद्ध मंदिर
देश में कहां-कहां है मां बगलामुखी के प्रसिद्ध मंदिर
सभी प्रकार के संकट और शत्रुओं से बचाने वाली मां बगलामुखी के देश भर में तमाम पावन पीठ हैं. जहां दर्शन मात्र से साधक के सारी समस्याएं दूर और मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. मान्यता है कि दस महाविद्याओं में बगलामुखी माता में इतनी शक्ति है जो भाग्य में लिखी चीजों को भी बदल देती हैं. बगलामुखी देवी बाएं हाथ से शत्रुओं की जिह्वा का अग्रभाग तथा दाएं हाथ में मुद्गर पकड़े हुए शत्रुओं का नाश करने वाली हैं. मां बगलामुखी माता के स्तोत्र का श्रवण तथा पाठ करने से साधक को विद्या, लक्ष्मी, यश, कीर्ति, ऐश्वर्य, संतान सुख आदि की प्राप्ति होती है. मां बगलामुखी की साधना करने से कोर्ट-कचहरी के मामलों और राजनीति के मुकाबलों में विजय की प्राप्ति होती हैं. आइए ऐसी दिव्य कृपा बरसाने वाली देवी मां बगलामुखी माता के पावन तीर्थों के बारे में जानते हैं.
मां पीतांबरा
माता बगलामुखी के प्रसिद्ध मंदिरों में सबसे पहले दतिया का नाम आता है. मां बगलतामुखी का यह ऐतिहासिक मंदिर महाभारत काल का माना जाता है. यहां पर देवी को पीतांबरा माता के नाम से पुकारा जाता है. मान्यता है कि आचार्य द्रोण के पुत्र अश्वत्थामा चिरंजीवी होने के कारण आज भी इस मंदिर में प्रतिदिन देवी की पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं. मान्यता है इस मंदिर में माता का स्वरूप दिन में तीन बार बदलता है. माता के इस शक्तिपीठ में देश-विदेश के नामी गिरामी हस्तियां माथा टेक चुकी हैं.
मां बमलेश्वरी
मां बगलामुखी का यह मंदिर छत्तीसगढ़ राज्य के राजनांदगांव जिले से लगभग 40 कि.मी. दूर पहाड़ी पर स्थित है. मां बगलामुखी के भक्त उन्हें यहां पर मां बम्लेश्वरी कहकर बुलाते हैं. माता के मंदिर में प्रतिवर्ष आश्विन एवं चैत्र की नवरात्रि में भव्य मेला लगता है. माता के दरबार में लोग दूर-दूर से माथा टेकने के लिए आते हैं.
त्रिशक्ति माता
मां बगलामुखी का यह मंदिर मध्य प्रदेश के नलखेड़ा में लखुंदर नदी के किनारे स्थित है. द्वापरयुगीन यह मंदिर अत्यंत चमत्कारिक है. मान्यता है कि माता के इस मंदिर की स्थापना महाभारत के युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए महाराजा युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण के निर्देश पर की थी.
वनखंडी
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित मां बगलामुखी का मंदिर वनखंडी नामक स्थान पर है. इस मंदिर का नाम श्री 1008 बगलामुखी वनखंडी मंदिर है. यह मंदिर भी महाभारतकाल का माना जाता है. मान्यता है कि महाभारत काल में इस मंदिर में कांगड़ा के राजा सुशर्मा चंद्र घटोच ने माता की विशेष साधना की थी.
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)