जानिए कब लग रहा है होलाष्‍टक..... अभी से हो जाएं सावधान, ये गलतियां पड़ेंगी भारी

होलाष्‍टक के 8 दिनों में शुभ कार्य करना वर्जित होता है. ये दिन भगवान की भक्ति और दान-पुण्‍य के लिए उत्‍तम होते हैं. यदि इस दौरान कुछ गलतियां की जाएं तो वे बड़े नुकसान का कारण बनती हैं.

Update: 2022-02-16 05:43 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जिस तरह धर्म और ज्‍योतिष में शुभ और मांगलिक काम करने के लिए शुभ मुहूर्त बताए गए हैं, वैसे ही कुछ अशुभ समय भी बताए गए हैं. इन समय में शुभ काम करने की मनाही की गई है, वरना वे काम बुरे नतीजे देते हैं. शुभ कामों के लिए वर्जित माने गई ऐसी अवधियों में से एक हैं होलाष्‍टक. होलिका दहन से पहले के 8 दिनों को होलाष्‍टक कहा जाता है और इन 8 दिनों में कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. हांलाकि देवी-देवताओं की आराधना क लिए यह समय बहुत शुभ होता है.

10 मार्च से लगेंगे होलाष्‍टक
17 फरवरी से फाल्गुन मास शुरू हो रहा है और इस महीने के आखिरी दिन यानी फाल्‍गुन की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है. इससे पहले फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से ही होलाष्टक लग जाता है, जो कि होलिका दहन के साथ खत्‍म होता है. इन्‍हीं 8 दिनों के दौरान कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. इस साल होलाष्‍टम 10 मार्च 2022 से शुरू होंगे और 17 मार्च 2022 को खत्‍म होंगे.
होलाष्टक में न करें ये काम
दरअसल, होलाष्‍टक के 8 दिनों के दौरान राजा राजा हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका के साथ मिलकर अपने पुत्र प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति से दूर करने के लिए कठोर यातनाएं दी थीं. यहां तक कि आखिरी दिन उसे जलाकर मारने की कोशिश भी की थी. इसलिए इन 8 दिनों में शुभ कार्य नहीं करते हैं और ज्‍यादा से ज्‍यादा समय भगवान की भक्ति में लगाते हैं. होलाष्टक में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से हर तरह के रोग से छुटकारा मिलता है, साथ ही आकस्मिक मृत्‍यु का खतरा भी टल जाता है.
- होलाष्‍टक के दौरान हिंदू धर्म से जुड़े सोलह संस्कार जैसे- विवाह, मुंडन समेत कोई भी शुभ कार्य नहीं करते.
- ना ही घर-गाड़ी, सोना खरीदते हैं. ना ही नया काम-व्‍यापार शुरू करते हैं.
- नवविवाहिता को सुसराल में पहली होली देखने की भी मनाही की गई है.
- इस दौरान किसी परिजन की मृत्‍यु हो जाए तो उसकी आत्‍मा की शांति के लिए विशेष अनुष्‍ठान कराने चाहिए.


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