जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वैशास मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत है। इस वर्ष वैशाख संकष्टी चतुर्थी 30 अप्रैल दिन शुक्रवार के दिन है। संकष्टी चतुर्थी के दिन विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की विधि विधान से पूजा की जाती है। पूजा में उनको विशेष तौर पर मोदक का भोग लगाया जाता है और 21 दूर्वा अर्पित की जाती है। जागरण अध्यात्म में जानते हैं कि संकष्टी चतुर्थी तिथि कब से कब तक है, चंद्र दर्शन का समय क्या है।
संकष्टी चतुर्थी तिथि मुहूर्त
वैशास मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 29 अप्रैल दिन गुरुवार को रात 10 बजकर 09 मिनट पर हो रहा है। इसका समापन 30 अप्रैल दिन शुक्रवार को शाम 07 बजकर 09 मिनट पर होना है। संकष्टी पूजा के लिए दोपहर का मुहूर्त देखा जाता है, ऐसे में दोपहर का मुहूर्त 30 अप्रैल को प्राप्त हो रहा है, अत: संकष्टी चतुर्थी का व्रत 30 अप्रैल को ही रखा जाएगा।
संकष्टी चतुर्थी को चंद्र दर्शन का समय
संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने वाले लोगों को इस दिन चंद्रमा का दर्शन करना होता है। इस दिन चंद्रमा का दर्शन देर रात में होता है। इस बार संकष्टी चतुर्थी पर चंद्र दर्शन रात 10 बजकर 48 मिनट पर होगा।
संकष्टी चतुर्थी पूजा
संकष्टी चतुर्थी व्रत रखने वाले व्यक्ति को दोपहर में विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। पूजा के समय आपको गणेश चालीसा और गणेश जी के मंत्रों का जाप करना चाहिए। पूजा के समापन पर गणेश जी की आरती करनी चाहिए। इस व्रत के प्रभाव से बिगड़े काम भी बन जाते हैं। गणपति की कृपा से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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