जानिए कब है षटतिला एकादशी.....तिथि, मुहूर्त और व्रत विधि
षटतिला एकादशी के दिन तिल का विशेष महत्व माना गया है. इस कारण इस एकादशी को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस बार ये व्रत 28 जनवरी को रखा जाएगा. यहां जानिए इस व्रत से जुड़ी खास बातें.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू पंचांग के अनुसार इस समय माघ के महीने (Magh Month) का कृष्ण पक्ष चल रहा है. इस माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi) के नाम से जाना जाता है. इस बार षटतिला एकादशी का व्रत 28 जनवरी को शुक्रवार के दिन रखा जाएगा. हर एकादशी की तरह षटतिला एकादशी पर भी भगवान श्री विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा की जाती है और उन्हें तिल का भोग लगाया जाता है. इस दिन तिल को पानी में डालकर स्नान करने और तिल का दान करने का भी विशेष महत्व बताया गया है. यहां जानिए षटतिला व्रत के शुभ मुहूर्त, महत्व और व्रत विधि की जानकारी.
षटतिला एकादशी शुभ मुहूर्त
षटतिला एकादशी तिथि की शुरुआत 28 जनवरी शुक्रवार को 02 बजकर 16 मिनट पर होगी. वहीं तिथि का समापन 28 जनवरी की रात 23 बजकर 35 मिनट पर होगा. ऐसे में षटतिला एकादशी का व्रत 28 जनवरी को रखा जाएगा. इस तरह ये व्रत 28 जनवरी को ही रखा जाएगा. व्रत का पारण 29 जनवरी को किया जाएगा. पारण के लिए शुभ समय शनिवार को सुबह 07 बजकर 11 मिनट से सुबह 09 बजकर 20 मिनट के बीच रहेगा. इसके अलावा आप दिन में किसी भी समय पारण कर सकते हैं क्योंकि द्वादशी तिथि पूरे दिन रहेगी. द्वादशी तिथि का समापन 29 जनवरी की रात 08 बजकर 37 मिनट पर होगा.
षटतिला एकादशी व्रत विधि
एकादशी से एक दिन पहले दशमी की शाम को सूर्यास्त से पहले साधारण भोजन कर लें. इसके बाद कुछ न खाएं. व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर तिल को पानी में डालकर स्नान करें. स्नान के दौरान श्री विष्णु का नाम मन में लें. इसके बाद पूजा के स्थान की साफ सफाई करके दीपक जलाएं. भगवान के समक्ष एकादशी व्रत का संकल्प लें. इसके बाद उन्हें चंदन, पुष्प, अक्षत, रोली, धूप, नैवेद्य, तुलसी, पंचामृत आदि अर्पित करें. षटतिला एकादशी व्रत कथा पढ़ें. इसके बाद आरती करें. भगवान को तिल से बनी चीजों का भोग लगाएं. संभव हो तो निराहार रहकर व्रत रखें, नहीं रह सकें तो एक समय फलाहार ले सकते हैं. तिल का दान करें. तिल मिला हुआ ही पानी पीएं. एकादशी की रात जागरण करके प्रभु के भजन गाएं और उनके मंत्रों का जाप करें. सुबह स्नान करने के बाद किसी ब्राह्मण को भोजन और सामर्थ्य के अनुसार दान दें. इसके बाद अपने व्रत का पारण करें.
षटतिला व्रत का महत्व
वैसे तो सभी एकादशी व्रत को श्रेष्ठ व्रतों में से एक माना गया है, लेकिन शास्त्रों में हर एकादशी का अलग महत्व बताया गया है. षटतिला एकादशी के व्रत से घर में सुख-शांति के वास होता है. व्रत रहने वाले को जीवन के सभी सुख प्राप्त होते हैं. कहा जाता है कि व्यक्ति को जितना पुण्य कन्यादान और हजारों सालों की तपस्या और स्वर्ण दान से मिलता है, उतना ही पुण्य षटतिला एकादशी का व्रत रखने से भी प्राप्त होता है. अंत में मनुष्य मोक्ष की ओर अग्रसर होता है.