पौष पूर्णिमा कब है जानें-पूजा की तिथि और विधि

पौष मास की पूर्णिमा इस वर्ष सोमवार 17 जनवरी को है। इस दिन पूजा, जप, तप और दान करने का विधान है।

Update: 2022-01-04 09:17 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क |    पौष मास की पूर्णिमा इस वर्ष सोमवार 17 जनवरी को है। इस दिन पूजा, जप, तप और दान करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की आराधना और सत्यनारायण भगवान की कथा का पाठ या श्रवण करने से व्यक्ति को सौ यज्ञों के समतुल्य पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही पूर्णिमा के दिन दान करने से अमोघ फल का वरदान मिलता है। इस दिन साधक पवित्र नदियों में स्नान कर तिल तर्पण करते हैं। इससे पितरों को मोक्ष मिलता है। अत: पौष पूर्णिमा का विशेष महत्व है। आइए, पौष पूर्णिमा की तिथि, विशेष योग और महत्व के बारे में जानते हैं-

पौष पूर्णिमा 2022 मुहूर्त
पौष पूर्णिमा सोमवार 17 जनवरी, 2022 को है। पौष पूर्णिमा तिथि 17 जनवरी को देर रात 3 बजकर 18 मिनट से शुरू होकर 18 जनवरी को सुबह 5 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि मान्य होती है, इसलिए पौष पूर्णिमा 17 जनवरी को है।
पौष पूर्णिमा के दिन राहुकाल
इस दिन राहुकाल सुबह में ही है। आषाढ़ पूर्णिमा के दिन राहुकाल प्रात: 08 बजकर 26 मिनट से सुबह 09 बजकर 44 मिनट तक है। राहुकाल में शुभ कार्य करने की मनाही होती है।
पूर्णिमा व्रत पूजा विधि
इस व्रत को करने के लिए व्यक्ति को दिन भर उपवास रखना चाहिए। संध्याकाल में किसी प्रकांड पंडित को बुलाकर सत्य नारायण की कथा श्रवण करवाना चाहिए। इस पूजा में सबसे पहले गणेश जी की, इसके बाद इंद्र देव और नवग्रह सहित कुल देवी देवता की पूजा की जाती है। फिर ठाकुर और नारायण जी की। इसके बाद माता लक्ष्मी, पार्वती सहित सरस्वती की पूजा की जाती है। अंत में भगवान शिव और ब्रह्मा जी की पूजा की जाती है। भगवान को भोग में चरणामृत, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, फल, फूल, पंचगव्य, सुपारी, दूर्वा आदि अर्पित करें। इससे सत्यनारायण देव प्रसन्न होते हैं। इसके बाद आरती और हवन कर पूजा सम्पन्न किया जाता है। साधक आर्थिक क्षमता अनुसार व्रत एवं पूजा का निर्वहन कर सकते हैं।


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