जानिए वरुथिनी एकादशी व्रत के दिन क्या करें और क्या नहीं

प्रत्येक माह में दो एकादशी होती है। एक कृष्ण पक्ष और एक शुक्ल पक्ष में। वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 26 अप्रैल को है।

Update: 2022-04-23 06:12 GMT

जानिए वरुथिनी एकादशी व्रत के दिन क्या करें और क्या नहीं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। प्रत्येक माह में दो एकादशी होती है। एक कृष्ण पक्ष और एक शुक्ल पक्ष में। वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 26 अप्रैल को है। वैशाख माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि को वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। सनातन धर्म में सभी व्रतों में एकादशी व्रत को श्रेष्ठ बताया गया है। इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। वरुथिनी एकादशी को कल्याणकारी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि प्रत्येक माह की एकादशी का व्रत नियमपूर्वक करने से सभी पापों का नाश होता है। साथ ही मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन में सुखों का आगमन होता है, लेकिन शास्त्रों में एकादशी व्रत से संबंधित कुछ नियम बताए गए हैं। इन नियमों का पालन करना बहुत आवश्यक होता है। इसके अलावा कुछ ऐसे कार्य हैं जो इस दिन नहीं करने चाहिए। तो आइए जानते हैं कि इस दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं...

एकादशी के दिन क्या करें?
एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु जी की पूजा का प्रावधान है। एकादशी तिथि पर विष्णु जी के साथ मां लक्ष्मी की पूजा करें और पूरे दिन ईश्वर का ध्यान करते हुए व्रत करें। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि यानी एकादशी के अगले दिन किया जाता है।
एक बात का ध्यान रखें कि एकादशी का पारण द्वादशी समाप्त होने से पहले करना चाहिए। हरिवासर में कभी भी एकादशी व्रत का पारण नहीं करना चाहिए। एकादशी के दिन दान-पुण्य करने का भी बहुत महत्व माना गया है, इसलिए एकादशी तिथि को दान कर्म अवश्य करें।
इसके अलावा एकादशी तिथि को भगवान विष्णु के तुलसी का भोग अवश्य अर्पित करें। तुलसी नारायण को अत्यंत प्रिय हैं। वहीं यदि आपने एकादशी व्रत नहीं भी किया है तब भी इस दिन केवल सात्विक चीजों का ही सेवन करें।
एकादशी तिथि को क्या न करें?
एकादशी तिथि को मांस मदिरा और अन्य किसी भी प्रकार की नशीली एवं तामसिक चीजों का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए। साथ ही एकादशी के दिन चावल का सेवन वर्जित माना गया है, इसलिए इस दिन यदि व्रत नहीं भी रखा तो भी चावल का सेवन न करें।
एकादशी तिथि को क्रोध न करें और किसी के लिए भी अपशब्दों का प्रयोग न करें। इसके अलावा एकादशी तिथि पर पूरी तरह से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।


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