अहोई अष्टमी के दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं, जानिए

अहोई अष्टमी के व्रत के भी कुछ नियम बनाए गए हैं, उन नियमों का पालन करना चाहिए, तभी ये व्रत पूरी तरह फलित हो पाता है. यहां जानिए अहोई अष्टमी के दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं.

Update: 2021-10-27 04:24 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का पर्व मनाया जाता है. जिस तरह करवाचौथ व्रत पति की सलामती और लंबी आयु के लिए होता है, उसी तरह अहोई अष्टमी व्रत संतान के सुरक्षित जीवन, दीर्घायु और उज्जवल भविष्य के लिए रखा जाता है. इस दिन अहोई माता का पूजन किया जाता है, जिन्हें मां पार्वती का रूप माना जाता है.

इस बार अहोई अष्टमी का त्योहार 28 अक्टूबर को गुरुवार के दिन पड़ रहा है. इस दिन महिलाएं सुबह से ही निर्जल व्रत रखती हैं और रात को तारों को अर्घ्य देने के बाद अपना व्रत खोलती हैं. इस दिन व्रत के कुछ नियम भी निर्धारित हैं, जिनका हर महिला को पालन करना चाहिए और उन गलतियों को करने से बचना चाहिए.
व्रत के दिन न करें ये गलतियां
1. अहोई अष्टमी के दिन माताओं को मिट्टी से जुड़ा कोई काम नहीं करना चाहिए. न ही बगीचे या गमले में खुरपी वगैरह चलानी चाहिए.
2. व्रत वाले दिन किसी नुकीली चीज जैसे चाकू, कैंची वगैरह का इस्तेमाल न करें. न ही इस दिन कपड़े की सिलाई आदि का कोई काम करें.
3. परिवार में प्रेमपूर्वक समय बि​ताएं. किसी के साथ झगड़ा न करें और न ही किसी को अपशब्द कहें.
4. घर में बगैर प्याज और लहसुन का सात्विक भोजन परिवारीजनों के लिए बनाएं. ज्यादा तेज तेल मसाले वाली चीजों न खिलाएं.
5. व्रत वाले दिन आप आराम करने के लिए लेट भले ही जाएं, लेकिन सोएं नहीं. रात में व्रत पारण के बाद ही सोएं.
6. तारों को अर्घ्य स्टील या पीतल के पात्र से दें. इसके लिए तांबे के बर्तन का इस्तेमाल बिल्कुल भी न करें. तांबे का इस्तेमाल सूर्य को जल देने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है.
इन बातों का रखें ध्यान
1. अहोई माता, मां पार्वती का ही स्वरूप हैं और उनके पुत्र गणेश और कार्तिकेय हैं. इसलिए आप इस दिन पूजा के दौरान पूरे शिव परिवार की तस्वीर रखकर पूजा करें. अगर ऐसी तस्वीर नहीं है, तो अहोई माता की पूजा से पहले गणपति की पूजा करें.
2. कथा सुनते समय सात प्रकार के अनाज अपने हाथ में लें. पूजा के बाद उस अनाज को गाय को खिला दें.
3. पूजा के समय अगर संभव हो, तो बच्चों को भी अपने साथ ही बैठाएं. माता का प्रसाद लगाने के बाद वो प्रसाद बच्चों को खिलाएं.
4. अहोई अष्टमी के दिन पूजन के बाद किसी ब्राह्मण या गाय को भोजन जरूर कराएं.


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