जानिए किस समय होता है राहु काल और किन कामों की है मनाही

राहु काल

Update: 2021-05-24 11:05 GMT

सनातन धर्म में किसी भी कार्य को करने के लिए शुभ समय की बात कही गई है. यही वजह है कि लोग ग्रह, नक्षत्र आदि की स्थितियां देखकर ज्योतिषाचार्य से किसी भी अच्छे काम के लिए शुभ मुहूर्त निकलवाते हैं. कहा जाता है कि यदि कार्य करने का समय अशुभ हो तो उस काम में कई व्यवधान आते हैं और वो काम जल्दी पूरा नहीं हो पाता.

राहुकाल को भी ज्योतिष के लिहाज से अशुभ माना गया है. सप्ताह के हर दिन में एक बार डेढ़ घंटे के लिए राहु काल होता है. ज्योतिष विशेषज्ञों का मानना है कि राहु काल में कोई शुभ काम नहीं करना चाहिए क्योंकि इसमें किए गए काम में बेवजह अड़चनें आती हैं और लक्ष्य तक पहुंचने के लिए व्यक्ति को तमाम प्रयास करने पड़ते हैं. राहु व्यक्ति के मन में बार बार भ्रम की स्थितियों को पैदा करता है. वहीं कुछ विद्वानों का मानना है कि राहु काल में किए गए काम के विपरीत परिणाम सामने आते हैं, इसलिए इसे अशुभ मुहूर्त माना गया है.

तीन दिनों में खास परहेज
सप्ताह के हर दिन में राहुकाल करीब डेढ़ घंटे का होता है, इस समय पर पूरी तरह राहु का आधिपत्य होता है. लेकिन राहुकाल का समय हर दिन अलग-अलग होता है और ये सूर्यास्त से पहले होता है. हालांकि शुभ कार्यों के लिए विशेष परहेज रविवार, मंगलवार और शनिवार का माना जाता है. राहु काल के समय को छायाग्रह काल भी कहा जाता है.

किस दिन किस समय होता है राहुकाल
– सोमवार को सुबह 7ः30 से 9ः00 बजे तक राहुकाल होता है.
– मंगलवार को दोपहर 3ः00 से 4ः30 बजे तक राहुकाल होता है.
– बुधवार को दोपहर 12ः00 से 1ः30 बजे तक राहुकाल माना गया है.
– गुरुवार को दोपहर 1ः30 से 3ः00 बजे तक का समय यानी दिन का छठा भाग राहुकाल होता है.
– शुक्रवार को दिन का चौथा भाग राहुकाल होता है यानी सुबह 10ः30 बजे से 12 बजे तक का समय राहुकाल है.
– शनिवार को सुबह 9ः00 बजे से 10ः30 बजे तक के समय को राहुकाल माना गया है.
– रविवार को शाम 4ः30 से 6ः00 बजे तक राहुकाल होता है.

इन कामों की है मनाही
1. यज्ञ, कथा या कोई विशेष धार्मिक आयोजन नहीं किया जाना चाहिए.

2. कोई नया काम जैसे किसी दुकान आदि का शुभारंभ इस दौरान नहीं करना चाहिए.

3. सगाई, शादी, मुंडन, यात्रा वगैरह न करें. यदि करना बहुत जरूरी हो तो हनुमान चालीसा पढ़कर पंचामृत पिएं, फिर शुभ कार्य की शुरुआत करें.

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.


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