जानिए अन्नपूर्णा जयंती का क्या है महत्व

हिंदू धार्मिक मान्यताओं में अन्नपूर्णा देवी को अन्न की देवी माना गया है.

Update: 2021-12-18 09:44 GMT

हिंदू धार्मिक मान्यताओं में अन्नपूर्णा देवी को अन्न की देवी माना गया है. मान्यता है कि इनकी ही कृपा से संसार का पोषण होता है. घर की रसोई में भी लोग अन्नपूर्णा की तस्वीर लगाते हैं. कहते हैं कि इनकी कृपा से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है. साथ ही घर में अन्न की कमी नहीं होती है. अन्नपूर्णा जयंती इस साल 19 दिसंबर, रविवार के दिन है.

अन्नपूर्णा जयंती का क्या है महत्व
मां अन्नपूर्णा को धान्य की देवी हैं. शास्त्रों में अन्न की देवी का संबंध माता पर्वती से भी है. साथ ही इन्हें शाकंभरी या अन्नदा भी कहते हैं. मां अन्नपूर्णा की कृपा पाने के लिए अन्नपूर्णा जयंती बेहद खास है. इस दिन सच्चे मन से इनकी उपासना करने से जीवन मे आ रही धन-धान्य की समस्या से छुटकारा मिलता है.
कैसे करें अन्नपूर्णा की पूजा 
सुबह सवेरे जगने के बाद नहाकर साफ कपड़े पहनें. इसके बाद समूचे घर, रसोई और चूल्हे की अच्छी तरह से साफ-सफाई करें. सोई और चूल्हे को गंगाजल से शुद्ध करें. फिर किचने के चूल्हे पर हल्दी, कुमकुम, चावल और फूल चढ़ाएं. इसके बाद धूप-दीप जलाएं. अन्नपूर्णा जयंती पर रसोई घर में मांअन्नपूर्णा का एक चित्र जरूर लगाकर पूरी श्रद्धा से इनकी पूजा करें.
अन्नपूर्णा जयंती की कथा
प्रचीन कथा के मुताबिक किसी समय काशी में अकाल पड़ा. जिसके कारण लोग भूख से व्याकुल हो उठे. भूख से बिलख रहे लोगों की दशा को देखकर भगवान शिव ने लोगों का पेट भरने के लिए मां अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी. मां अन्नपूर्णा ने भिक्षा के साथ-साथ भगवान शिव को वचन दिया कि काशी में कभी भी कोई भूखा नहीं सोएगा. मान्यता यह भी है कि काशी जाने हर किसी को मां अन्नपूर्णा के आशीर्वाद से अन्न मिलता है.


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