जानिए वैदिक ज्योतिष शास्त्र में ग्रह के राशि परिवर्तन का विशेष महत्व

वैदिक ज्योतिष शास्त्र में ग्रह के राशि परिवर्तन का विशेष महत्व होता है

Update: 2022-03-02 08:51 GMT

वैदिक ज्योतिष शास्त्र में ग्रह के राशि परिवर्तन का विशेष महत्व होता है। किसी भी ग्रह गोचर का सभी 12 राशियों पर प्रभाव पड़ता है। सूर्यदेव ने पहले ही कुंभ राशि में गोचर कर लिया था। इस राशि में पहले से ही गुरु ग्रह विराजमान थे। ऐसे में कुंभ राशि में सूर्य व गुरु ग्रह की युति बन रही है। ज्योतिष शास्त्र में इस युति को बेहद खास माना जाता है। इन दोनों ग्रहों के बीच मित्रता का भाव है। जानें इन दो ग्रहों की युति किन राशि वालों के जीवन में लाएगी खुशहाली-

मेष- मेष राशि के ग्याहरवें भाव में सूर्य व गुरु की युति बन रही है। 11 वें भाव को इनकम का भाव माना गया है। इस दौरान आपकी आय में वृद्धि के योग बनेंगे। फिजूल खर्चों पर रोक लगेगा। अगर आप धन निवेश का मन बन रहे हैं तो यह समय आपके लिए अनुकूल है।
वृषभ- सूर्य व गुरु की युति आपकी राशि के दशम यानी कर्म व करियर भाव में हो रही है। इसलिए आपको नई नौकरी का प्रस्ताव मिल सकता है। नौकरी पेशा करने वाले जातकों को पदोन्नति हो सकती है। कार्यस्थल पर आपके कार्य कौशल में विकास होगा। उच्चाधिकारियों संग रिश्ते मधुर होंगे। व्यापार में धन लाभ हो सकता है।
मकर राशि- सूर्य व गुरु की युति आपके दूसरे यानी धन, वाणी भाव में हो रही है। इस दौरान आपको अचानक धन लाभ हो सकता है। व्यापार में कोई नई डील फाइनल हो सकती है। इन दोनों ग्रहों की युति से इस राशि के जातकों को करियर में विशेष लाभ होगा।


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