चिली के इस वीरान आइलैंड पर मौजूद सैकड़ों रहस्यमय मूर्तियां का जानिए राज

चिली के इस वीरान आइलैंड पर मौजूद हैं सैकड़ों रहस्यमय मूर्तियां? जानिए क्या है इसके पीछे का राज

Update: 2021-08-29 12:15 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क :-   दुनिया में कई ऐसी जगह है जो रहस्यमय होने के चलते मशूहर होती है. इनमें से कई रहस्यों की पहेली जहां सुलझ गई है तो वहीं कई रहस्य ऐसे जिनकी गुत्थी आजतक नहीं सुलझी. इसी कड़ी में एक आज हम आपको चिली एक सुनसान आइलैंड के बारे में बताने जा रहे हैं.


जहां 900 के करीब रहस्यमय मूर्तियां हैं. जिसके बारे में अनुमान लगाया जाता है कि इनको बनाया गया है, लेकिन क्यों बनाया गया है इसकी किसी को जानकारी नहीं है.


आज हम आपको चिली एक सुनसान आइलैंड के बारे में बताने जा रहे हैं. जहां 900 के करीब रहस्यमय मूर्तियां हैं. जिसके बारे में अनुमान लगाया जाता है कि इनको बनाया गया है, लेकिन क्यों बनाया गया है इसकी किसी को जानकारी नहीं है.


चिली के इस वीरान आइलैंड पर मौजूद हैं सैकड़ों रहस्यमय मूर्तियां? जानिए क्या है इसके पीछे का राज


हम बात कर रहे हैं ईस्टर आइलैंड और यहां बनी रहस्यमय मूर्तियों को 'मोई' नाम से जाना जाता है. ये मूर्तियां लगभग 100 टन वजनी और 30-40 फीट लंबी हैं. इनकी खास बात ये है कि ये सभी दिखने में एक जैसी लगती है.ऐसा लगता है जैसे सभी को एक ही सांचे में ढाला गया


कहते हैं कि पत्थर की ये मूर्तियां इतनी मजबूत हैं कि हथौड़े से ठोके जाने के बावजूद इनमें छोटी-मोटी खरोंच के अलावा इन्हें कोई खास नुकसान नहीं पहुंचता.


इन मूर्तियों को लेकर सबसे हैरान करने वाली जो बात ये है कि जब इस आईलैंड पर किसी इंसान के होने के आज तक सबूत नहीं मिले, ऐसे में सैकड़ों की तादाद में ये मूर्तियां कैसे है?


रहस्यमय मूर्तियों 'मोई' (4) Compressed


लोगों का कहना है कि सैकड़ों साल पहले इस आईलैंड पर एलियंस आए थे. जिन्होंने इन मूर्तियों का निर्माण किया है जो इन्हें बीच में ही छोड़ गए हालांकि ये सब कही-सुनी बातें हैं, जिसका कोई प्रमाण किसी के पास मौजूद नहीं है.


ऐसा कहा जाता है कि इनका निर्माण 1250 से 1500 के बीच रापा नुई कहे जाने वाले लोगों ने इन मूर्तियों को बनाया था जो यहीं ईस्टर आईलैंड पर रहा करते थे. इन्हें बनाने के पीछे की वजह ये बताई जाती है कि वो इन्हें अपने पूर्वजों की याद और सम्मान में बनाते थे,

लेकिन इन मूर्तियों को बनाने के चक्कर में जब पेड़ों की अंधाधुंध कटाई होने लगी तो इस द्वीप पर रहना रापा नुई के लिए मुश्किल हो गया. माना जाता है कि इसी वजह से वो इन मूर्तियों का काम अधूरा छोड़कर ही यहां से कहीं और चले गए.


 



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