जानिए आचार्य की वो नीतियां जो दुश्मन को मात देने में हैं मददगार
आचार्य का मानना था कि सफलता प्राप्त करने वाले व्यक्ति के दुश्मन भी तमाम होते हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आचार्य का मानना था कि सफलता प्राप्त करने वाले व्यक्ति के दुश्मन भी तमाम होते हैं. ऐसे में उसे इन जो ज्ञात और अज्ञात शत्रुओं का मुकाबला करना आना चाहिए. ऐसे में व्यक्ति को कई जगहों पर धैर्य, संयम के साथ प्रतिक्रिया देनी पड़ती है, ताकि आप अपने दुश्मन को ऐसे मात दे दें कि वो जान भी न सके. यहां जानिए आचार्य की वो नीतियां जो दुश्मन को मात देने में मददगार हैं.
आचार्य का मानना था कि दुश्मन बढ़ने पर घबराएं नहीं, बल्कि इसे सीखने का एक अवसर मानें. आपके दुश्मन आपको विपरीत परिस्थितियों को पक्ष में करने का हुनर सिखाते हैं. इसलिए इन्हें प्रेरक मानना चाहिए और सजग रहते हुए अपना बचाव और मुकाबले की तैयारी करना चाहिए और आगे बढ़ते रहना चाहिए.
चाणक्य के अनुसार आप सफलता के गुरूर में कभी इतना मस्त न हों कि अपने शत्रु या प्रतिद्वंदी को बहुत कमजोर समझने लगें. ध्यान रखिए जो आपके साथ किसी मैदान में प्रतियोगिता के उद्देश्य से उतरा है, उसके पास भी निश्चित रूप से आपकी ही तरह कई तरह की जानकारी जरूर होगी.इसलिए शत्रु को कमजोर न समझते हुए तैयारी करें, ताकि हर तरह से उसका मुकाबला करने के लिए खुद को तैयार कर सकें. इसलिए कभी शत्रु को कमजोर न समझें. वर्ना नुकसान उठा सकते हैं. अपनी तैयारी लगातार करते रहें और प्रतिक्रिया कब देनी है इसकी रणनीति जरूर बनाकर रखें.
चाणक्य का मानना था कि क्रोध आपकी बुद्धि और विवेक को हर लेता है और आप ऐसी स्थिति में निश्चित रूप से कोई न कोई गलती कर बैठते हैं. इसलिए याद रखिए कि आपका शत्रु आपको किसी न किसी प्रकार से उकसाकर क्रोध दिलाने की कोशिश कर सकता है. लेकिन आपको हर हाल में क्रोध से बचकर रहना है.
चाणक्य का कहना था कि अगर आपका लक्ष्य बड़ा है, तो उसके लिए तैयारी भी बड़ी करनी होगी और ऐसे लक्ष्य को प्राप्त करने में हर हाल में समय भी ज्यादा लगेगा. आपको इसके लिए खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार रखना होगा और सही रणनीति बनाकर धैर्य पूर्वक आगे बढ़ना होगा. इसलिए कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए. हमेशा धैर्य के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहिए. सफलता एक दिन निश्चित तौर पर मिलेगी.