हनुमानजी को सिंदूर चढ़ाने का जानें पौराणिक और वैज्ञानिक कारण
तो इसलिए चढ़ाते हैं हनुमाजी को सिंदूर
हनुमानजी को सिंदूर चढ़ाने की परंपरा सदियों पुरानी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों किया जाता है? आखिर इसके पीछे पौराणिक और वैज्ञानिक कारण क्या है? अगर आपके मन में भी ऐसे ही सवाल हैं तो आइए इस बारे में विस्तार से जान लेते हैं..
सिंदूर चढ़ाने की ऐसी है पौराणिक कथा
रामचरितमानस में कथा मिलती है कि प्रभु श्रीराम के राजतिलक के बाद एक दिन हनुमान जी भूख-प्यासे माता सीता के पास पहुंचे। वहां पहुंचकर उन्होंने देखा कि सीता माता अपनी मांग में कुछ लगा रही हैं। लेकिन उन्हें यह समझ नहीं आया कि आखिर वह क्या लगा रही हैं और क्यों? तब उन्होंने माता से पूछा कि यह क्या है और वह इसे क्यों लगा रही हैं? तब माता सीता ने उन्हें बताया कि यह सिंदूर है और इसे श्रीराम की दीर्घायु के लिए लगाती हैं। इसके बाद माता सीता हनुमानजी के लिए भोजन लाने के लिए रसोईघर में चली गईं।
तब हनुमानजी ने किया यह कार्य
कथा के अनुसार जब सीता माता रसोईघर चली गईं तो हनुमानजी ने सिंदूर उठाया और उसे अपने पूरे शरीर में लगा लिया। इसके बाद वह रामजी के दरबार में उपस्थित हो गए। वहां जब सबने हनुमानजी को देखा तो उनसे पूरे शरीर पर सिंदूर लगाने का कारण पूछा। तब हनुमानजी ने कहा कि माता सीता ने बताया है कि सिंदूर धारण करने से श्रीराम जी दीर्घायु होंगे इसलिए मैंने भी अपने स्वामी की लंबी उम्र के लिए पूरे शरीर में सिंदूर लगा लिया। मान्यता है कि उस दिन मंगलवार का दिन था। तब हनुमानजी की ऐसी अनन्य भक्ति देखकर श्रीराम ने कहा कि मंगलवार के दिन जो भी जातक हनुमानजी को सिंदूर लगाएंगे। उन्हें श्रीराम की विशेष कृपा मिलेगी। कहते हैं कि तबसे ही इस हनुमानजी को सिंदूर लगाने की परंपरा शुरू हुई।
सिंदूर चढ़ाने के पीछे ऐसा है वैज्ञानिक कारण
वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार सिंदूर में पारा होता है। जिसे माथे पर लगाने से जातकों के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इससे सिर दर्द और निद्रा संबंधी सभी समस्याएं दूर होती हैं। यही नहीं इसे लगाने से एकाग्रता में भी वृद्धि होती है। इसका उदाहरण पौराणिक काल में गुरुकुल में देखने को मिलता है। जहां सभी जातकों को सिंदूर का तिलक लगाया जाता था। ताकि उनके सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो और वह एकाग्रचित्त होकर ज्ञान ग्रहण कर सकें।