माघ माह स्नान प्रमुख तिथियां और महत्व, जाने
वेदों, पुराणों एवं शास्त्रों में माघ महीने में गंगा स्नान का विधान है। ऐसी मान्यता है कि माघ और कार्तिक माह में प्रतिदिन प्रातःकाल गंगा स्नान कर पूजा करने से व्यक्ति के समस्त पाप कट जाते हैं।
वेदों, पुराणों एवं शास्त्रों में माघ महीने में गंगा स्नान का विधान है। ऐसी मान्यता है कि माघ और कार्तिक माह में प्रतिदिन प्रातःकाल गंगा स्नान कर पूजा करने से व्यक्ति के समस्त पाप कट जाते हैं। साथ ही व्यक्ति को सभी सुखों की प्राप्ति होती है और जन्म-मृत्यु चक्र से मुक्ति मिलती है। दैविक काल से माघ और कार्तिक महीने में गंगा स्नान का प्रचलन है। इस महीने में श्रद्धालु पवित्र नदियों और सरोवरों में स्नान करते हैं। वहीं, माघ महीने में ही नियमित अंतराल पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। इस मौके पर देश और दुनिया के श्रद्धालु पवित्र नदी गंगा में आस्था की डुबकी लगाते हैं। आइए, माघ माह के स्नान की प्रमुख तिथियों के बारे में जानते हैं-
- 1 फरवरी को मौनी अमावस्या है। माघ माह में अमावस्या की तिथि को गंगा स्नान किया जाता है। अतः मौनी अमावस्या के दिन श्रद्धालु अपने आसपास के पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान करेंगे। शास्त्रों में पूर्णिमा और अमावस्या की तिथियों को पूजा,जप, तप और दान का विधान है। इसके लिए मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान के पश्चात पूजा और दान अवश्य करें।
- 5 फरवरी को वसंत पंचमी है। इस दिन संगीत और विद्या की देवी मां शारदे का प्रादुर्भाव हुआ है। अतः बड़ी संख्या में श्रद्धालु वसंत पंचमी के दिन गंगा स्नान कर मां शारदे की पूजा-उपासना करते हैं।
-8 फरवरी को अचला सप्तमी है। इस दिन भी गंगा स्नान का विधान है। इसे कई नामों से जाना जाता है। अचला सप्तमी को सूर्यरथ सप्तमी, पुत्र सप्तमी, रथ आरोग्य सप्तमी, आदि भी कहा जाता है। ज्योतिषों की मानें तो अचला सप्तमी के दिन गंगा स्नान से व्यक्ति को आरोग्य जीवन की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति के सभी पाप धूल जाते हैं।
-16 फरवरी को माघी पूर्णिमा है। इस दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा, यमुना समेत देश के अन्य पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। इस दिन गंगा घाट पर उत्स्व जैसा माहौल रहता है। संध्याकाल में गंगा आरती की जाती है। इसके अलावा, महाशिवरात्रि के दिन भी श्रद्धालु गंगा स्नान करते हैं।