जगन्नाथ रथ यात्रा का इतिहास
जगन्नाथ रथ यात्रा का जिक्र पद्म पुराण, नारद पुराण और ब्रह्म पुराण तीनों में मिलता है. पद्म पुराण के अनुसार, भगवान जगन्नाथ यानी श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा उनकी और बलराम जी, दोनों की लाडली थीं. एक बार सुभद्रा ने दोनों भाइयों से नगर भ्रमण की इच्छा जताई. बहन की इच्छा को वो भला कैसे टाल सकते थे, इसलिए दोनों भाई अपनी बहन को लेकर नगर भ्रमण के लिए निकले. इस बीच वो अपनी मौसी गुंडिचा के घर पर भी गए और यहां पर उन्होंने 7 दिनों तक विश्राम किया. तब से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा की परंपरा शुरू हो गई. इस यात्रा के दौरान भी प्रभु देवी सुभद्रा और बड़े भाई बलराम के साथ अलग अलग रथों पर सवार होकर नगर भ्रमण करते हुए मौसी के घर यानी गुंडिचा मंदिर जाते हैं. सबसे आगे बलराम जी का रथ होता है, बीच में बहन सुभद्रा का और सबसे पीछे जगन्नाथ जी का रथ होता है. मौसी के घर पहुंचकर तीनों लोग अपनी मौसी के हाथों से बना पूडपीठा ग्रहण करते हैं और सात दिनों तक वहां विश्राम करते हैं. सात दिनों बाद उनकी वापसी होती है. रथ यात्रा का ये पूरा पर्व 10 दिनों तक चलता है.
ये है रथ यात्रा का पूरा कार्यक्रम
रथ यात्रा प्रारंभ : शुक्रवार, 01 जुलाई 2022 (इस बीच भगवान गुंडिचा मौसी के घर जाएंगे)
हेरा पंचमी : मंगलवार, 05 जुलाई 2022 (पहले पांच दिन भगवान गुंडिचा मंदिर में वास करते हैं)
संध्या दर्शन : शुक्रवार, 08 जुलाई 2022 (इस दिन जगन्नाथ के दर्शन करने से 10 साल तक श्रीहरि की पूजा के समान पुण्य मिलता है)
बहुदा यात्रा : शनिवार, 09 जुलाई 2022 (भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और बहन सुभद्रा की घर वापसी की यात्रा)
सुनाबेसा : रविवार, 10 जुलाई 2022 (जगन्नाथ मंदिर लौटने के बाद भगवान अपने भाई-बहन के साथ शाही रूप लेते हैं)
आधर पना : सोमवार, 11 जुलाई 2022 (आषाढ़ शुक्ल द्वादशी पर इन रथों पर एक पना चढ़ाया जाता है जो दूध, पनीर, चीनी और मेवा से बनता है)
नीलाद्री बीजे : गलवार, 12 जुलाई 2022 (जगन्नाथ रथ यात्रा के सबसे दिलचस्प अनुष्ठानों में एक है नीलाद्री बीजे, इसी के साथ रथ यात्रा का समापन होता है)
जगन्नाथ रथ यात्रा का महत्व
जगन्नाथ रथ यात्रा में शामिल होना बहुत पुण्यदायी माना जाता है. मान्यता है कि इस यात्रा में शामिल होने मात्र से 100 यज्ञों के समान पुण्य की प्राप्ति हो जाती है. जो लोग इस बीच भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा या बड़े भाई बलराम का रथ खींचते हैं, उन्हें सौभाग्यवान माना जाता है. मान्यता है कि भगवान के रथों को खींचने से जाने या अनजाने में किए गए सारे पाप नष्ट हो जाते हैं. ऐसा व्यक्ति जीवन के सारे सुखों को भोगता हुआ अंत में मोक्ष को प्राप्त होता है.