जानिए वट सावित्री पूर्णिमा व्रत का महत्व
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन वट सावित्री पूर्णिमा व्रत किया जाता है। इसे जेठी पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन सर्वकार्यो में सिद्धि देने वाले साध्य और शुभ योग का संगम भी हो रहा है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन वट सावित्री पूर्णिमा व्रत किया जाता है। इसे जेठी पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन सर्वकार्यो में सिद्धि देने वाले साध्य और शुभ योग का संगम भी हो रहा है। वट सावित्री पूर्णिमा के दिन कुछ विशेष प्रयोग और उपाय भी किए जाते हैं, जो आपकी आर्थिक समृद्धि को बढ़ाने में सहायता करते हैं। इस दिन के पूजन का विधान भी वट सावित्री अमावस्या की तरह ही है।
वट सावित्री व्रत का विधान
वट वृक्ष के नीचे सावित्री और सत्यवान तथा यम की मिट्टी की मूर्तियां स्थापित कर पूजा करनी चाहिए। वट वृक्ष की जड़ को पानी से सींचना चाहिए। पूजा के लिए जल, मौली, रोली, कच्चा सूत, भिगोया हुआ चना, पुष्प तथा धूप होनी चाहिए। जल से वट वृक्ष को सींचकर तने के चारों ओर कच्चा सूत लपेटकर तीन बार परिक्रमा करनी चाहिए। इसके बाद सत्यवान सावित्री की कथा सुननी चाहिए। इसके बाद भीगे हुए चनों का बायना निकालकर उस पर यथााशक्ति रुपये रखकर अपनी सास या सास के समान किसी सुहागिन महिला को देकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। वट सावित्री व्रत की कथा का श्रवण या पठन करना चाहिए।
इस दिन करें कुछ विशेष उपाय
वट सावित्री पूर्णिमा का महत्व मानसिक तनावों, उलझनों, निर्णय लेने में कठिनाई दूर करने के लिए ज्यादा है। इसलिए इस दिन चंद्र के मंत्रों का जाप करना चाहिए। इस दिन बरगद, पीपल और नीम की त्रिवेणी रोप कर प्रतिदिन उसमें जल अर्पित करने का बड़ा महत्व है। इससे पितृ प्रसन्न होते हैं। कुंडली में पितृदोष से मुक्ति मिलती है और तरक्की के मार्ग खुलने लगते हैं। वट सावित्री पूर्णिमा के दिन ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का 108 बार जाप करते हुए पीपल के वृक्ष पर कच्चा सूत लपेटते हुए परिक्रमा करें। परिक्रमा पूर्ण होने पर वृक्ष के नीचे आटे के पांच दीये प्रज्ज्वलित करें। इससे आपकी आर्थिक समस्याएं दूर होंगी। पूर्णिमा के दिन घर में सुंदरकांड का पाठ करें। हनुमानजी को शुद्ध घी के हलवे का नैवेद्य लगाएं। इससे चमत्कारिक रूप से पैसों के आगमन में आ रही बाधाएं दूर होती हैं। मानसिक पागलपन और भावनात्मक उद्वेग दूर करने के लिए पूर्णिमा के दिन एक सूखे नारियल गोले में छोटा सा छेद करके उसमें गरम करके ठंडा किया हुआ मीठा दूध भर दें और दूध को दूसरे दिन मानसिक कमजोर व्यक्ति को पिलाया जाए तो वह शीघ्र स्वस्थ होने लगता है। यह प्रयोग 11 या 21 पूर्णिमा के दिन करना चाहिए। पूर्णिमा के दिन पारे के श्रीयंत्र की स्थापना घर में करना अत्यंत शुभ होता है। इस दिन स्ति्रयों को सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखना चाहिए।