जानिए परिवर्तिनी एकादशी व्रत का महत्व

परिवर्तिनी एकादशी (Parivartini Ekadashi) भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को कहते हैं

Update: 2022-08-30 09:20 GMT

परिवर्तिनी एकादशी (Parivartini Ekadashi) भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को कहते हैं. इसे एकादशी जयंती भी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु के वामन स्वरूप की पूजा करने का विधान है. इस एकादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु शयन के समय करवट बदलते हैं, इसलिए इसका नाम परिवर्तिनी एकादशी पड़ा है. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से जानते हैं परिवर्तिनी एकादशी की तिथि, पूजा मुहूर्त और व्रत के पारण के बारे में.

परिवर्तिनी एकादशी तिथि 2022
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 06 सितंबर मंगलवार को प्रात: 05 बजकर 54 मिनट पर प्रारंभ हो रही है और इस तिथि का समापन अगले दिन 07 ​सितंबर बुधवार को सुबह 03 बजकर 04 मिनट पर होगा. इस साल रिवर्तिनी एकादशी व्रत 06 सितंबर को रखा जाएगा.
परिवर्तिनी एकादशी 2022 मुहूर्त
06 सितंबर को परिवर्तिनी एकादशी व्रत के दिन प्रात:काल से ही आयुष्मान योग लग रहा है, जो सुबी 08 बजकर 16 मिनट तक रहेगा. उसके बाद से सौभाग्य योग लगेगा, जो 07 सितंबर को प्रात: 04 बजकर 50 मिनट तक रहेगा. फिर शोभन योग शुरु हो जाएगा.
इसके अलावा देखा जाए तो परिवर्तिनी एकादशी के दिन त्रिपुष्कर योग और रवि योग भी बन रहे हैं. रवि योग प्रात: 06 बजकर 01 मिनट से शाम 06 बजकर 09 मिनट तक है, वहीं त्रिपुष्कर योग 07 ​सितंबर को प्रात: 03 बजकर 04 मिनट से सुबह 06 बजकर 02 मिनट तक रहेगा.
रवि योग सभी संकटों को दूर करके सफलता प्रदान करता है. आयुष्मान, सौभाग्य और शोभन ये तीनों योग शुभ फल प्रदान करने वाले माने जाते हैं. इस प्रकार से देखा जाए तो परिवर्तिनी एकादशी का दिन पूजा पाठ की दृष्टि से बहुत ही फलदायी है.
परिवर्तिनी एकादशी व्रत का पारण
यदि आप 06 सितंबर को परिवर्तिनी एकादशी व्रत रखते हैं तो आपको 07 सितंबर के दिन व्रत का पारण करना चाहिए. इस दिन पारण का समय सुबह 08 बजकर 19 मिनट से सुबह 08 बजकर 33 मिनट तक है.
परिवर्तिनी एकादशी व्रत का महत्व
परिवर्तिनी एकादशी व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से समस्त पापों का नाश होता है और वाजपेय यज्ञ के समान पुण्य फल प्राप्त होता है. इस दिन वामन अवतार की पूजा करने से मृत्यु के पश्चात व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है.


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