जानिए गजानन संकष्टी चतुर्थी व्रत में चंद्रोदय का महत्व
सावन के महीने की शुरुआत हो गई है और इस महीने कई व्रत व त्योहार आने वाले हैं. जिनका हिंदू धर्म में विशेष महत्व है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सावन के महीने की शुरुआत हो गई है और इस महीने कई व्रत व त्योहार आने वाले हैं. जिनका हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. सावन के महीने में भगवान शिव के साथ ही उनके पूरे परिवार का पूजन किया जाता है. सावन में कृष्ण चतुर्थी तिथि के दिन गजानन संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाता है. यह व्रत भगवान शिव के पुत्र गणेश जी को समर्पित है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से जातक के सभी संकट दूर होते हैं और उसे सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है.
कब है गजानन संकष्टी चतुर्थी 2022
सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी व्रत किया जाता है. यह तिथि इस बार 16 जुलाई, शनिवार को दोपहर 1 बजकर 27 मिनट पर शुरू होगी और 17 जुलाई, रविवार को सुबह 10 बजकर 49 मिनट तक रहेगी. गजानन संकष्टी चतुर्थी व्रत 16 जुलाई को रखा जाएगा.
गजानन संकष्टी चतुर्थी व्रत में चंद्रोदय का महत्व
गजानन संकष्टी चतुर्थी व्रत में जातक दिनभर फलाहार करते हैं और रात्रि के समय चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत पूरा होता है. इस दिन चंद्रोदय का समय रात 9 बजकर 49 मिनट पर है. चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को अर्घ्य दें और पूजन करें.
गजानन संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार गजानन संकष्टी चतुर्थी व्रत करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है और जातक के सभी संकट दूर होते हैं. हिंदू धर्म में गणेश जी को देवताओं में प्रथम देव का स्थान प्राप्त है और किसी भी शुभी कार्य से पहले उनका पूजन करना अनिवार्य है. जो जातक श्रद्धाभाव से गणेश जी का पूजन और गजानन संकष्टी चतुर्थी व्रत करते हैं उन्हें जीवन में किसी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता.