सनातन धर्म के विभिन्न संस्कारों में से एक है कलाई पर ‘मौलि’ बांधना। यह संस्कार बेहद खास माना जाता है। जिस तरह पूजा में तिलक लगाना, हवन कुंड में सामग्री डालना, इत्यादि जरूरी हैं, इसी तरह से मौलि बांधना भी एक खास रस्म है। इसे रक्षा कवच के रूप में भी शरीर पर बांधा जाता है। आइये जानते हैं मौली का दिवाली पूजा में क्या महत्व हैं।
* कलावा बांधने की परंपरा तब से चली आ रही है, जब से महान, दानवीरों में अग्रणी महाराज बलि की अमरता के लिए वामन भगवान ने उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा था। इसे रक्षा कवच के रूप में भी शरीर पर बांधा जाता है।
* हिन्दू शास्त्रों में मौलि बांधने का महत्व बताया गया है, जिसके अनुसार मौलि बांधने से त्रिदेवों और तीनों महादेवियों की कृपा प्राप्त होती है। ये महादेवियां इस प्रकार हैं- पहली महालक्ष्मी, जिनकी कृपा से धन-सम्पत्ति आती है। दूसरी हैं महासरस्वती, जिनकी कृपा से विद्या-बुद्धि प्राप्त होती है और तीसरी हैं महाकाली, इनकी कृपा से मनुष्य बल एवं शक्ति प्राप्त करता है।
* वैज्ञानिक दृष्टि से अगर मौली के फायदों के बारे में देखा जाए तो यह स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद है। मौली बांधना जहां लोगों को उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करता है। वहीं कलावा बांधने से त्रिदोष-वात, पित्त और कफ का शरीर में सामंजस्य बना रहता है। आपको बता दें कि ब्ल्ड प्रेशर, हार्ट अटैक, डायबिटीज और लकवा जैसे रोगों से बचाव के लिए भी कलावा या मौली बांधना हितकर बताया गया है।
* वाहन, कलम, बही खाते, फैक्ट्री के मेन गेट, चाबी के छल्ले, तिजोरी पर पवित्र मौली बांधने से लाभ होता है, महिलाये मटकी, कलश, कंडा, अलमारी, चाबी के छल्ले, पूजा घर में मौली बांधें या रखें मोली से बनी सजावट की वस्तुएं घर में रखेंगी तो नई खुशियां आती है। नौकरी पेशा लोग कार्य करने की टेबल एवं दराज में पवित्र मौली रखें या हाथ में मौली बांधेंगे तो लाभ प्राप्ति की संभावना बढ़ती है।
* मौलि का धागा मात्र एक धागा ना होकर, शास्त्रों में पवित्र माना गया है। यह धागा काफी खास है, इसका रंग एवं एक-एक धागा हमें शक्ति एवं समृद्धि प्रदान करता है। ना केवल इसे बांधने से बल्कि मौलि से बनी सजावट की वस्तुएं घर में रखने से भी बरक्कत होती है और खुशियां आती हैं।