जानिए सावन के कालाष्टमी व्रत का महत्व

सावन (Sawan) का कालाष्टमी व्रत (Kalashtami Vrat) 20 जुलाई दिन बुधवार को है.

Update: 2022-07-19 06:05 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सावन (Sawan) का कालाष्टमी व्रत (Kalashtami Vrat) 20 जुलाई दिन बुधवार को है. सनातन वैदिक पञ्चांग में सावन कृष्ण अष्टमी को कालाष्टमी के रूप में मनाया जाता है. यदि यह व्रत बुधवार के दिन पड़ता है, तो यह बुधाष्टमी कहलाता है. इस बार सावन का कालाष्टमी व्रत रेवती नक्षत्र से युक्त है. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी के अनुसार, कालाष्टमी व्रत के दिन भगवान शिव के भैरव स्वरूप की विधिपूर्वक पूजा अर्चना करने की परंपरा है. कालभैरव की पूजा करने या स्मरण करने से भी हर तरह के दोष, पाप, ताप और कष्ट दूर हो जाते हैं, इसलिए भैरव देव को कलयुग का ब्रह्मास्त्र कहा जाता है.

भैरव पूजा का महत्व
जो लोग बुध और राहु से पीड़ित होते हैं, उन लोगों को कालाष्टमी व्रत और बाबा भैरवनाथ की पूजा विधि विधान से करनी चाहिए. भैरव कृपा से आपके जीवन के सभी संकट दूर होंगे और सफलता प्राप्ति के मार्ग खुलेंगे. तंत्र-मंत्र के देवता के रूप में भगवान भैरवनाथ की पूजा की जाती है, वे तंत्र और मंत्र के ज्ञानी हैं. वे तो साक्षात रूद्र हैं.
लिंग पुराण के अनुसार, भैरव अष्टमी यानि कालाष्टमी, रविवार या बुधवार को कालभैरव के 8 नामों का स्मरण करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. उनके आशीर्वाद से सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं. उनको दण्डपाणि, क्षेत्रपाल नामों से भी जाना जाता है. कालभैरव के स्मरण करने वाले 8 नाम नीचे दिए जा रहे हैं. तांत्रिक ग्रंथों में अष्ट भैरव के नामों की प्रसिद्धि है.
1. असितांग भैरव
2. चंड भैरव
3. रूरू भैरव
4. क्रोध भैरव
5. उन्मत्त भैरव
6. कपाल भैरव
7. भीषण भैरव
8. संहार भैरव
कालाष्टमी व्रत पूजा
शिवपुराण के अनुसार, भगवान शिव का भैरव स्वरूप सृष्टि की रचना, पालन और संहारक की भूमिका में है. ये ही भक्तों की रक्षा करके उनको पापों से मुक्ति प्रदान करते हैं. बाबा भैरवनाथ की षोड्षोपचार पूजा और अर्घ्य देना चाहिए. व्रत वाले दिन रात्रि जागरण करें, भगवान शिव और माता पार्वती की कथा सुने और भजन-कीर्तन करें. भैरवनाथ की कथा का श्रवण करें. रात्रि प्रहर में भैरव जी की विधिपूर्वक आरती करें. इस दिन कालभैरव स्त्रोत का पाठ करने और दान देने से सफलता प्राप्त होती है. इसके अलावा कालसर्प दोष, बुध दोष और शिक्षा आदि में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं. भगवान कालभैरव का वाहन कुत्ता है, कालाष्टमी के दिन उसे भोजन देने से भी भैरवनाथ जी प्रसन्न होते हैं.
Tags:    

Similar News

-->