जानिए गुड़ी पड़वा की सही तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि व महत्व

चैत्र माह की शुरुआत हो चुकी है। इस महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को उगादि कहते हैं

Update: 2021-04-04 07:15 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | चैत्र माह की शुरुआत हो चुकी है। इस महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को उगादि कहते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास से नववर्ष की शुरुआत होती है। महाराष्ट्र में हिंदू नववर्ष को गुड़ी पड़वा के रूप में सेलिब्रेट करते हैं। इस दिन को फसल दिवस के तौर पर मनाते हैं। हर साल गुड़ी पड़वा चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार 13 अप्रैल को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु व ब्रह्मा जी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। घरों में कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं।

गुड़ी पड़वा का महत्व-
पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्रतिपदा तिथि के दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसलिए इस दिन भगवान ब्रह्मा की पूजा का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि गुड़ी पड़वा के दिन सभी बुराइयों का अंत होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
गुड़ी पड़वा शुभ मुहूर्त-
गुड़ी पड़वा तिथि- 13 अप्रैल 2021
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ- 12 अप्रैल 2021 दिन सोमवार की सुबह 08 बजे से।
प्रतिपदा तिथि समाप्त- 13 अप्रैल 2021 दिन मंगलवार की सुबह 10 बजकर 16 मिनट तक।
गुड़ी पड़वा पूजा विधि-
1. गुड़ी पड़वा के दिन सबसे पहले सूर्योदय से पूर्व स्नान आदि किया जाता है।
2. इसके बाद मुख्यद्वार को आम के पत्तों से सजाया जाता है।
3. इसके बाद घर के एक हिस्से में गुड़ी लगाई जाती है। इसे आम के पत्तों, पुष्प और कपड़े आदि से सजाया जाता है।
4. इसके बाद भगवान ब्रह्मा की पूजा की जाती है और गुड़ी फहराते हैं।
5. गुड़ी फहराने के बाद भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
कैसे मनाते हैं गुड़ी पड़वा-
महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा के दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं। इस त्योहार के दिन पूरन पोली और श्रीखंड मनाया जाता है। इसके अलावा मीठे चावल बनाएं जाते हैं। जिसे सक्कर भात कहते हैं। सूर्योदय के साथ भगवान ब्रह्मा और विष्णु जी की पूजा की जाती है।


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