जानिए अक्तूबर महीने में नवरात्रि, दशहरा और करवाचौथ व्रत-त्योहार की तिथियां
अक्तूबर का महीना आरंभ होने वाला है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अक्तूबर साल का 10वां महीना होता है। इस महीने में कई प्रमुख त्योहार मनाएं जाएंगे।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अक्तूबर का महीना आरंभ होने वाला है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अक्तूबर साल का 10वां महीना होता है। इस महीने में कई प्रमुख त्योहार मनाएं जाएंगे। अक्तूबर के महीने में शारदीय नवरात्रि है। 03 अक्तूबर को इंदिरा एकादशी का व्रत रखा जाएगा। 06 अक्तूबर को सर्वपितृ अमावस्या के साथ 16 दिनों तक चलने वाले पितृ पक्ष का समापन होगा। फिर अगले दिन यानी 07 अक्तूबर को शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि पर घटस्थापना होगी। 15 अक्तूबर को दशहरा पर्व मनाया जाएगा। इस महीने शरद पूर्णिमा और करवाचौथ का व्रत भी होगा। आइए जानते हैं अक्तूबर माह के प्रमुख व्रत- त्योहार की महत्वपूर्ण तिथियां...
01 अक्तूबर 2021- दशमी श्राद्ध
पितृपक्ष की दशमी तिथि पर उन मृत परिजनों का श्राद्ध करते है जिनकी मृत्यु दशमी तिथि पर हुई थी। 01 अक्तूबर 2021 को दशमी तिथि है।
03 अक्तूबर 2021- इंदिरा एकादशी
हर महीने दो एकादशी के व्रत आते हैं जिनमें एक शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष में होते हैं। 03 अक्तूबर को इंदिरा एकादशी का व्रत है। इसमें भगवान विष्णु की पूजा आराधना की जाती है।
04 अक्तूबर 2021- प्रदोष व्रत
04 अक्तूबर,सोमवार को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। प्रदोष व्रत में उपवास रखकर भगवान शिव की पूजा आराधना की जाती है। सोमवार के दिन पड़ने के कारण इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है। प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
04 अक्तूबर 2021- मासिक शिवरात्रि
04 अक्तूबर को मासिक शिवरात्रि मनाई जाएगी। हर महीने मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। इसमें भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा के लिए विधिवत पूजा आराधना की जाती है।
06 अक्तूबर 2021- सर्वपितृ अमावस्या
06 अक्तूबर को सर्वपितृ अमावस्या है और इसी दिन पितृपक्ष का आखिरी दिन होता है। सर्वपितृ अमावस्या पर उन मृत परिजनों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु अमावस्या तिथि पर होती है। इसे अमावस्या श्राद्ध भी कहा जाता है। इस दिन से पश्चिम बंगाल में महालया अमावस्या पर नवरात्रि का आरंभ हो जाता है। मान्यता है महालया अमावस्या पर देवी दुर्गा पृथ्वी पर अवतरित होती हैं।
07 अक्तूबर 2021- शारदीय नवरात्रि प्रारंभ
07 अक्तूबर से शारदीय नवरात्रि शुरू होंगे। नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि पर घटस्थापना होती है। नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है। कई लोग इन नौ दिनों का व्रत रखते हुए देवी दुर्गा की पूजा आराधना करते हैं।
13 अक्तूबर 2021- दुर्गा अष्टमी
13 अक्तूबर को दुर्गा अष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप की पूजा की जाती है। दुर्गा अष्टमी पर नौ कन्याओं का पूजन करते हुए इन्हें भोजन करवाया जाता है।
14 अक्तूबर 2021- महानवमी
महानवमी तिथि पर माता के आखिरी स्वरूप सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा होती है। इसी दिन माता की विदाई होती है। महानवमी पर भी कन्याओं का पूजन किया जाता है। नवें दिन माँ सिद्धिदात्री की आराधाना की जाती है। इनके आशीर्वाद के बगैर व्यक्ति की मनोकामना पूर्ण नहीं होती।
15 अक्तूबर 2021- विजयदशमी, दशहरा
15 अक्तूबर को विजयदशमी का त्योहार मनाया जाएगा। विजयदशमी पर भगवान राम में रावण का वध करके लंका पर विजय प्राप्ति की थी। इसके अलावा इस दिन पर मां दुर्गा ने दैस्य महिषासुर का वध भी किया था। विजयदशमी को दशहरा भी कहा जाता है।
15 अक्तूबर 2021- बुद्ध जयंती
15 अक्तूबर को बुद्ध जयंती भी है। इस तिथि पर भगवान विष्णु के अवतार भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था।
16 अक्तूबर 2021- पापांकुशा एकादशी
16 अक्तूबर को पापांकुशा एकादशी का व्रत रखा जाएगा। एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की उपासना की जाती है। इस तिथि पर व्रत रखते हुए भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए मंत्रों का जाप किया जाता है।
19 अक्तूबर 2021- शरद पूर्णिमा, कोजागर पूजा
इस बार 19 अक्तूबर को शरद पूर्णिमा है। शरद पूर्णिमा को कोजागर पूर्णिमा भी कहा जाता है। शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा सोलह कालाओं से युक्त होता है। इस दिन चांद की रोशनी में पूरी रात खीर रखी जाती है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है।
24 अक्तूबर 2021- करवा चौथ
हिंदू धर्म में करवा चौथ व्रत का विशेष महत्व होता है। करवा चौथ का व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर रखा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं सजधज कर निर्जला व्रत रखते हुए अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं।
28 अक्तूबर 2021- अहोई अष्टमी
अहोई अष्टमी व्रत का दिन करवा चौथ के चार दिन बाद और दीवाली पूजा से आठ दिन पहले पड़ता है। इस बार अहोई अष्टमी 28 अक्तूबर को मनाई जाएगी। इस व्रत में माताएं अपने पुत्र की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं।