जानिए गायत्री जयंती की तिथि, पूजा- विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त...

हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रति वर्ष गायत्री जयंती ज्येष्ठ माह शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार गायत्री जयंती मां गायत्री का जन्मोत्सव है।

Update: 2022-06-04 09:35 GMT

हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रति वर्ष गायत्री जयंती ज्येष्ठ माह शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार गायत्री जयंती मां गायत्री का जन्मोत्सव है। इसलिए इस दिन उनकी विशेष आराधना की जाती है। इस एकादशी को निर्जला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। निर्जला एकादशी को सभी एकादशी में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। गायत्री जयंती के दिन विधि- विधान से गायत्री माता की पूजा- अर्चना करनी चाहिए। हिन्दू धार्मिक शास्त्रों में मां गायत्री को वेद माता के नाम से जाना जाता है। मां गायत्री के पांच मुख और दस हाथ हैं। उनके इस रूप में चार मुख चारों वेदों के प्रतीक हैं एवं उनका पांचवा मुख सर्वशक्तिमान शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। मां के दस हाथ भगवान विष्णु के प्रतीक हैं । इतना ही नहीं त्रिदेवों की आराध्य भी मां गायत्री को ही कहा गया है। आइए जानते हैं गायत्री जयंती की तिथि, पूजा- विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त...

गायत्री जयंती तिथि
ज्येष्ठ मास की एकादशी इस बार 11 जून, 2021, शनिवार को है। इसी दिन गायत्री जयंती मनाई जाएगी।
गायत्री जयंती मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारम्भ - जून 10, 2022 को प्रातः 07:25 बजे से
एकादशी तिथि समाप्त - जून 11, 2022 को प्रातः 05:45 बजे
गायत्री जयंती का महत्व
सनातन धर्म में गायत्री जयंती का बहुत अधिक महत्व माना गया है। मान्यता है कि मां गायत्री से ही चारों वेदों की उत्पत्ति मानी गई है। कहते हैं कि गायत्री जयंती के दिन विधि-विधान के साथ जो साधक पूजा करते हैं उसे वेदों वेदों के अध्ययन करने के समान फल की प्राप्ति होती है। शिक्षा प्राप्त करने वाले और आध्यात्मिक अध्यापन करने वालों के लिए यह दिन अतिउत्तम रहता है। इस दिन गायत्री मंत्र के जाप का विशेष महत्व होता है।
गायत्री जयंती पूजा-विधि
गायत्री जयंती के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
वस्त्र धारण करने के बाद मंदिर की साफ-सफाई करके गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें।
इसके बाद मां गायत्री और समस्त देवी-देवताओं को प्रणाम करें व दीप प्रज्वलित करें।
मां गायत्री का ध्यान करते हुए पुष्प अर्पित करें।
इसके बाद आसन लगाकर वहीं पर गायत्री मंत्र का जाप करें।
जाप पूर्ण हो जाने के पश्चात मां को भोग लगाएं।
गायत्री मंत्र का करें जाप
ऊं भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।।
गायत्री मंत्र जाप के लाभ
कहते हैं कि गायत्री मंत्र के जाप से दुख और दरिद्रता का नाश होता है, संतान की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि गायत्री मंत्र जाप से मन शांत और एकाग्र रहता है. मुखमंडल पर चमक आता है। किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए गायत्री मंत्र का जाप किया जा सकता है।
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