जानिए सीता नवमी की तिथि, मुहूर्त और पूजन विधि

प्रत्येक वर्ष सीता नवमी वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व राम नवमी से लगभग एक माह बाद मनाते हैं।

Update: 2022-05-09 06:14 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। प्रत्येक वर्ष सीता नवमी वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व राम नवमी से लगभग एक माह बाद मनाते हैं। वैशाख शुक्ल नवमी तिथि को सीता जी का प्रकाट्य हुआ था, इसलिए इसे जानकी जयंती या सीता नवमी के नाम से जाना जाता है। इस बार 10 मई 2022, मंगलवार को वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है। इस दिन स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्त है। इस दुर्लभ संयोग पर देवी मां सीता के साथ भगवान राम का पूजन करना श्रेष्ठ रहता है। जिस प्रकार राम नवमी को बहुत शुभ फलदायी पर्व के रूप में मनाया जाता है उसी प्रकार सीता नवमी भी बहुत शुभ फलदायी माना गया है। भगवान श्री राम को विष्णु तो माता सीता को लक्ष्मी का स्वरूप कहा गया है। इस सौभाग्यशाली दिन माता सीता की पूजा अर्चना प्रभु श्री राम के साथ करते हैं तो भगवान श्री हरि और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। आइए जानते हैं सीता नवमी की तिथि, पूजा मुहूर्त और पूजन विधि ।

सीता नवमी तिथि
नवमी तिथि आरंभ: 09 मई , सोमवार सायं 06: 32 मिनट पर
नवमी तिथि समाप्त: 10 मई, मंगलवार सायं 07:24 मिनट पर
सीता नवमी शुभ मुहूर्त
सीता नवमी या जानकी जयंती का शुभ मुहूर्त: 10 मई, मंगलवार प्रातः 10: 57 मिनट से दोपहर 01:39 मिनट तक
सीता नवमी का क्षण: 12:18 मिनट पर
शुभ मुहूर्त अवधि: कुल 02 घण्टा 42 मिनट
सीता नवमी का महत्व
सीता नवमी माता सीता के प्राकट्य के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखती हैं और माता सीता की पूजा करती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार मिथिला नरेश जनक जी अपने खेतों में हल चला रहे थे, तो उस समय उनको वहां से माता सीता पुत्री स्वरूप में प्राप्त हुई थीं।
सीता नवमी की पूजन विधि
सीता नवमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि करके व्रत का संकल्प लें।
घर में रखे गंगा जल से भगवान श्री राम और सीता माता की मूर्ति को स्नान कराएं।
इसके बाद घर के मंदिर या पूजा स्थल पर माता सीता और भगवान राम की विधिपूर्वक से पूजा करें।
इसके बाद उन्हें भोग लगाएं।
सीता माता के समक्ष दीपक प्रज्ज्वलित करें।
अब भगवान राम और माता सीता की आरती करें।


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