जानिए तांडव स्तोत्र पाठ के फायदे

तांडव भगवान शिव द्वारा किया गया था. हिंदू धर्म में तांडव का विशेष महत्व बताया गया है.

Update: 2022-08-29 06:02 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।     तांडव भगवान शिव द्वारा किया गया था. हिंदू धर्म में तांडव का विशेष महत्व बताया गया है. तांडव भगवान शिव के क्रोध से जुड़ा हुआ है, लेकिन शास्त्रों की मानें तो क्रोध और लीला दोनों ही स्थितियों में भगवान शिव तांडव करते हैं. शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव तांडव करते हुए जब तीसरा नेत्र खोलते हैं तो गुस्से से प्रलय आ जाता है, वहीं दूसरी तरफ जब भगवान शिव डमरू बजाते हुए तांडव करते हैं तो वह परम आनंद में होते हैं. जब शिव रौद्र तांडव करते हैं तो वे रुद्रत्व कहलाते हैं। वहीं महादेव जब आनंद तांडव में मग्न होकर नाचते हैं तो वे नटराज कहलाते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रावण ने अपने आराध्य शिव की स्तुति में 'शिव तांडव स्तोत्र' की रचना की थी. आइए जानते हैं पंडित इंद्रमणि घनस्याल से शिव तांडव स्तोत्र के पाठ का महत्व व कैसे करें यह पाठ.

तांडव स्तोत्र पाठ के फायदे
भगवान शिव की विशेष कृपा पाने के लिए तांडव स्तोत्र का पाठ विशेष फलदाई है. शिव तांडव स्तोत्र का पाठ नियमित रूप से करने वाले व्यक्ति को सुख संपत्ति व ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. यह पाठ नियमित रूप से करना चाहिए. पंडित इंद्रमणि घनस्याल के अनुसार अगर नियमित रूप से न कर सकें तो सोमवार व शनिवार के दिन जरूर करना चाहिए. इसका पाठ करने से शनि, राहु, केतु, पितृदोष व कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है. भगवान शिव को भी तांडव स्तोत्र अति प्रिय हैं.
ऐसे करें पाठ
शिव तांडव स्तोत्र अत्यंत चमत्कारी माना गया है. इसका पाठ सूर्योदय के समय करने से बेहद लाभ मिलता है. इस पाठ को करने से पहले नहा धोकर पूरी तरह स्वच्छ हो जाएं. साफ कपड़े धारण करें. फिर भगवान शिव की मूर्ति सामने रखकर उन्हें प्रणाम करें और भगवान शिव के सामने धूप व दीपक जलाएं. भगवान शिव को उनके प्रिय फूल बेलपत्र, धतूरा अर्पित करें. इसके बाद उनका जलाभिषेक करें. फिर सही शब्दों के उच्चारण के साथ में शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करें. पाठ समाप्त होने के बाद भगवान शिव को नमन करें और कुछ देर के लिए भगवान शिव का ध्यान करें.
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