जानिए वैशाख माह कीे पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है, जिसमें इसी दिन हुआ था भगवान बुद्ध का जन्म

यह पर्व महाराष्ट्र में अरब सागर के किनारे मौजूद ग्लोबल विपश्यना पगोडा का बेहद खास है

Update: 2021-05-25 07:34 GMT

जनत से रिश्ता वेबडेस्क | वैशाख महीने की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। ये इस बार 26 मई को है। महाराष्ट्र में अरब सागर के किनारे गोराई क्रीक के नजदीक मौजूद ग्लोबल विपश्यना पगोडा बेहद खास है। यह पगोड़ा पूरी तरह से गुम्बदनुमा आकृति में तैयार किया गया है। खास बात ये है कि इस गुंबद में एक भी आधार स्तंभ नहीं है।


इस मंदिर को बनाने के लिए बड़े पत्थरों और सोने का इस्तेमाल किया गया है। अपनी अनोखी बनावट के कारण इस मंदिर को विश्व रिकॉर्ड में जगह दी गई है। इस मंदिर में बनी गैलरी में आप बुद्ध के समय की और कई पेंटिंग देख सकते हैं। पगोडा की नक्काशी देखकर आपको चीन की कलाकारी की याद आ जाएगी।

रखे हुए हैं बुद्ध से जुड़े अवशेष
इस पगोडा में बने हॉल में करीब 8000 लोग एकसाथ पूजा कर सकते हैं, जोकि 61300 वर्गफीट तक फैला है। इसकी गुंबदनुमा छत 325 फीट ऊंची है और यहीं पर बुद्ध के अवशेष रखे हुए हैं। जिस स्थान पर बुद्ध से जुड़े अवशेष रखे होते हैं उन्हें पगोडा कहा जाता है। इस स्थान पर बुद्ध की लंबी प्रतिमा को देख सकते हैं, जिसे खासकर संगमरमर पत्थर से बनाया गया है। इसका आकार म्यां मार के श्वेदागोन पगोडा से प्रेरित है। इसका निर्माण वर्ष 2000 में प्रारंभ हुआ था, जो कि 2008 तक चला।

दी जाती है बुद्ध की शिक्षा
इस जगह पर भगवान बुद्ध की दी हुई शिक्षा का पाठ पढ़ाकर लोगों को वास्तविक आनंद पाने करने का रास्ता बताया जाता है। इस पगोडा पर बेल टॉवर और टॉवर बर्मी में वास्तु कला का अद्भुत नमूना देखने को मिलता है। इस मंदिर के शिखर को बड़े क्रिस्टल के साथ सजाया गया है। यहां के शिखर पर ही असली सोने का काम किया गया है, बाकी जगहों पर सिर्फ सोने का पानी चढ़ा या गया है।

यहां एक मेडिटेशन हॉल और म्यूजियम भी है। म्यूजियम में भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़ी चीजों को दर्शया गया है। इस स्था न पर बोधी वृक्ष की शाखा से तैयार किए गए पीपल के पेड़ को 2014 में लगाया गया था। बोध गया से लाए गए बोधिवृक्ष की शाखाएं इस जगह को आध्यात्मिक रूप से और भी मजबूत करती है।


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