जानिए काशी में गंगा आरती पूरे विश्व में प्रसिद्ध, विदेशी पर्यटक भी होते शामिल
गंगा आरती (Ganga Aarti) जिसके विषय में आपने कई किस्से, कई कहानियां सुनी होगी और हो सकता है आप खुद भी गंगा आरती के साक्षी (Witness) रहे होंगे. गंगा के तट पर शाम होते होते माहौल एक दम भक्तिमय होने लगता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | गंगा आरती (Ganga Aarti) जिसके विषय में आपने कई किस्से, कई कहानियां सुनी होगी और हो सकता है आप खुद भी गंगा आरती के साक्षी (Witness) रहे होंगे. गंगा के तट पर शाम होते होते माहौल एक दम भक्तिमय होने लगता है. पुजारियों की भीड़ में दीपक की ज्वाला, जो मानो आसमान को छूने की कोशिश करती है. शंखनाद डमरू की आवाज और मां गंगा के जयकारे आरती में शामिल भक्तों के रौंगटे खड़े कर देते हैं. गंगा घाट (Ganga Ghat) पर गंगा आरती के समय मेला सा लग जाता है. ऐसे ही तो गंगा आरती विश्व प्रसिद्ध (World Wide) नहीं हो गई. यही सब महत्वपूर्ण कारण है जिनसे गंगा आरती की ख्याति पूरी दुनिया में है और तमाम जगह से भक्त इसकी एक झलक पाने के लिए आते हैं.
गंगा आरती की शुरुआत
पवित्र गंगा नदी की एक झलक पाने के लिए लोग बहुत दूर दूर से आते हैं. इसके साथ वो गंगा आरती में भी शामिल होते हैं. आज कल हरिद्वार की तर्ज पर गंगा आरती का आयोजन ऋषिकेश, वाराणसी, प्रयाग और चित्रकूट में भी होने लगी है. साल 1991 में गंगा आरती वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर शुरू की गई.
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गंगा आरती का महत्व
दुनिया भर के सबसे खूबसूरत धार्मिक समारोह में से गंगा आरती भी एक माना जाता है. यह आरती सूर्यास्त के बाद होती है. गंगा आरती की शुरुआत शंखनाद से की जाती है. जिसे लेकर मान्यता है कि इससे नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है. पुजारी अपने हाथों में बड़े बड़े दीये लेकर मां गंगा की आरती करते हैं. मां गंगा के जयकारे, ढोल नगाड़े की गूंज और आरती की मधुर ध्वनि अपने आप अपलक निहारने पर मजबूर कर देती है.
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विदेशी पर्यटक
गंगा आरती की महिमा और ख्याति से न सिर्फ भारतीय बल्कि विदेशी पर्यटक भी खिंचे चले आते हैं. शाम के समय गंगा घाट पर बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक भी गंगा आरती का हिस्सा बनते हैं.
गंगा जी आरती
ॐ जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता ।
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता ॥
ॐ जय गंगे माता,
चंद्र सी ज्योति तुम्हारी, जल निर्मल आता।
शरण पडें जो तेरी, सो नर तर जाता ॥
ॐ जय गंगे माता॥
पुत्र सगर के तारे, सब जग को ज्ञाता ।
कृपा दृष्टि तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता ॥
ॐ जय गंगे माता॥
एक ही बार जो प्राणी, शारण तेरी आता ।
यम की त्रास मिटाकर, परमगति पाता ॥
ॐ जय गंगे माता॥
आरती मातु तुम्हारी, जो नर नित गाता ।
सेवक वही सहज में, मुक्त्ति को पाता ॥
ॐ जय गंगे माता॥ (साभार:- एस्ट्रोयोगी)