जानिए जगन्नाथ रथ यात्रा से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु

हर साल ओडिशा के पुरी स्थित जगन्‍नाथ मंदिर से विश्वप्रसिद्ध जगन्‍नाथ रथ यात्रा निकलती है

Update: 2022-07-01 06:18 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हर साल ओडिशा के पुरी स्थित जगन्‍नाथ मंदिर से विश्वप्रसिद्ध जगन्‍नाथ रथ यात्रा निकलती है. ये आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को निकलती है. बता दें कि दो साल के लंबे इंतजार के बाद इस साल महाउत्सव में भक्तों को शामिल होने की अनुमति दी गई है. ऐसे में भगवान जगन्‍नाथ का आर्शीवाद प्राप्त करने के लिए देश-दुनिया से श्रद्धालू पहुंचे हैं. ये रथ यात्रा 1 जुलाई से 12 जुलाई तक चलेगी. भगवान जगन्‍नाथ आज रथों में सवार होकर अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ गुंडिचा मंदिर की ओर प्रस्‍थान कर रहे हैं.

सोने की झाड़ू से रास्ता किया जाता है साफ
बता दें कि गुजरात के अहमदाबाद में भी जगन्नाथ मंदिर से जगन्नाथ की रथ यात्रा निकलती है. ऐसे में मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने पूरे विधि-विधान से पहिंद विधि से रथयात्रा की शुरुआत सोने के झाड़ू से झाड़ू लगाकर की. ऐसी मान्यता है कि रथ यात्रा शुरू होने से पहले तीनों रथों की भी विशेष पूजा-अर्चना होती है. फिर रथ यात्रा के लिए के रास्‍ते को सोने की झाड़ू से साफ किया जाता है. इन्हीं रस्मों का हिस्सा बनने के लिए दुनिया भर से लोग शामिल होते हैं. 
Jagannath Rath Yatra से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बिंदु
जगन्‍नाथ रथ यात्रा में उपयोग होने वाले तीनों रथों में किसी धातु का उपयोग नहीं किया जाता है. इन रथों में किसी कील का भी उपयोग नहीं किया जाता है.
रथों के रंग की बाते करें तो लकड़ी का चयन कर भगवान जगन्‍नाथ के लिए गहरे रंग की नीम की लकड़ी और उनके भाई-बहन के लिए हल्‍के रंग की नीम की लकड़ी इस्तेमाल में लाई जाती है.
गुंडिचा मंदिर पहुंचने के बाद भगवान अपने भाई-बहने सहित 7 दिनों तक विश्राम करते हैं.
बता दें कि यात्रा 3 किलोमीटर की होती है, जिसके लिए कई महीनों पहले से तैयारियां शुरू हो जाती हैं
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