जानिए कैसे प्रचलित हुई संत रविदास की कहावत 'मन चंगा तो कठौती में गंगा'
'मन चंगा तो कठौती में गंगा' एक ऐसी कहावत है जिसे आज भी लोग अक्सर इस्तेमाल करते हैं. लेकिन क्या आपको वो किस्सा पता है, जिसके कारण ये कहावत इतनी मशहूर हो गई ? आइए आज संत रविदास जयंती के मौके पर आपको बताते हैं इस कहावत से जुड़ा किस्सा.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अक्सर आपने लोगों को कहते सुना होगा 'मन चंगा तो कठौती में गंगा'. ये एक मशहूर कहावत है जो लोगों को ये संदेश देती है कि अगर किसी काम को करने के लिए आपकी मंशा अच्छी है, तो आपका काम मां गंगा की तरह पवित्र है. उसे करने में कोई हिचक न करें. ये कहावत संत रविदास (Sant Ravidas) ने कही थी. संत रविदास का जन्म एक चर्मकार परिवार में हुआ था. अपने परिवार के भरण पोषण के लिए वो जूता बनाने का काम करते थे, जो उनका पैतृक काम था. लेकिन उनके मन में भगवान की भक्ति बसी थी. इन परिस्थितियों के बीच एक ऐसा किस्सा सामने आया जिसने लोगों को संत रविदास की भक्ति की शक्ति को दिखाया और लोगों को उनका मुरीद बना दिया. इसी से 'मन चंगा तो कठौती में गंगा' की कहावत सबके सामने आयी. हर साल माघ मास की पूर्णिमा (Magh Purnima) तिथि को संत रविदास जयंती (Sant Ravidas Jayanti 2022) मनाई जाती है. इस मौके पर आप भी जानिए इस कहावत से जुड़ा किस्सा.