जानिए कैसे प्रकट हुई गायत्री माता
11 जून दिन शनिवार को मनाई जाएगी. पौराणिक कथाओं के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गायत्री माता प्रकट हुई थीं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। 11 जून दिन शनिवार को मनाई जाएगी. पौराणिक कथाओं के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गायत्री माता प्रकट हुई थीं, इसलिए इस तिथि को गायत्री जयंती मनाते हैं. अब सबके मन में यह प्रश्न उठता है कि गायत्री माता कौन हैं? उनका प्रकाट्य क्यों हुआ? उनका विवाह किससे हुआ? वह वेदमाता क्यों कहलाती हैं?
गायत्री माता से ही चारों वेदों की उत्पत्ति हुई है, इस वजह से इनको वेदमाता कहते हैं. गायत्री मंत्र में चारों वेदों का सार है. यह देव माता भी हैं क्योंकि त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश इनकी आराधना करते हैं. गायत्री माता को सभी प्रकार के ज्ञान की देवी माना जाता है.
कैसे प्रकट हुईं गायत्री माता?
पौराणिक मान्यताओं के आधार पर ब्रह्म देव जब सृष्टि की रचना के प्रारंभ में थे, तब उन पर गायत्री मंत्र प्रकट हुआ था. उन्होंने ही सर्वप्रथम गायत्री माता का आह्वान किया, अपने मुख से गायत्री मंत्र की व्याख्या की. इस तरह से गायत्री माता का प्रकाट्य हुआ. गायत्री माता से ही चारों वेद, शास्त्र आदि पैदा हुए.
गायत्री माता का विवाह
कथा के अनुसार, ब्रह्मा जी को एक यज्ञ में शामिल होना था, लेकिन उस समय उनकी पत्नी सावित्री उनके साथ नहीं थीं. तब उन्होंने गायत्री माता से विवाह कर लिया और यज्ञ में शामिल हुए. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब पति और पत्नी साथ में कोई धार्मिक कार्य करते हैं, तो उसका संपूर्ण फल प्राप्त होता है.
सर्वार्थ सिद्धि योग में गायत्री जयंती
इस साल गायत्री जयंती सर्वार्थ सिद्धि योग में है. 11 जून यानी गायत्री जयंती पर सर्वार्थ सिद्धि योग 05:23 एएम से प्रारंभ होकर अगले दिन 02:05 एएम तक है. ऐसे में आप सर्वार्थ सिद्धि योग में गायत्री माता की पूजा और उनके मंत्र का जाप करते हैं, तो उसका पूर्ण फल प्राप्त होगा क्योंकि सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए कार्य सफल होते हैं.