जानिए दुर्गाष्टमी का मुहूर्त, योग और पूजा विधि

आज आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की दुर्गा अष्टमी व्रत है और मासिक दुर्गाष्टमी (Durgashtami) भी है

Update: 2022-07-07 05:11 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की दुर्गा अष्टमी व्रत है और मासिक दुर्गाष्टमी (Durgashtami) भी है. इस दिन 10 महाविद्याओं के साथ माता महागौरी की पूजा करते हैं. गुप्त नवरात्रि तंत्र-मंत्र की साधना के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है. आज आप व्रत रहने के साथ माता महागौरी की पूजा करें क्योंकि आज मासिक दुर्गाष्टमी व्रत भी है. आज आषाढ़ मा​ह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि है. हर माह के शुक्ल अष्टमी को मासिक दुर्गाष्टमी व्रत रखा जाता है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं दुर्गाष्टमी के मुहूर्त, योग और पूजा विधि के बारे में.

आषाढ़ दुर्गाष्टमी 2022 मुहूर्त
आषाढ़ शुक्ल अष्टमी तिथि का प्रारंभ: 06 जुलाई, बुधवार, शाम 07:48 बजे से
आषाढ़ शुक्ल अष्टमी तिथि का समापन: आज, शाम 07:28 बजे पर
दिन का शुभ समय या अभिजित मुहूर्त: आज 11:58 बजे से दोपहर 12:54 बजे तक
विजय मुहूर्त: आज दोपहर 02:45 बजे से दोपहर 03:40 बजे तक
शिव योग में दुर्गाष्टमी व्रत
शिव योग: आज सुबह 10:39 बजे से लेकर अगली सुबह 09:01 बजे तक
हस्त नक्षत्र: आज सुबह से लेकर दोपहर 12:20 बजे तक
चित्रा नक्षत्र: आज दोपहर 12:20 बजे से पूरे दिन
दुर्गाष्टमी व्रत एवं पूजा विधि
1. आज प्रात: स्नान के बाद साफ कपड़े पहनें. फिर हाथ में जल, अक्षत्, फूल आदि लेकर दुर्गाष्टमी व्रत एवं पूजा का संकल्प करें.
2. अब आप पूजा स्थान पर मां दूर्गा या माता महागौरी की तस्वीर स्थापित करें. शिव योग मांगलिक कार्यों के लिए शुभ है. ऐसे में आप शिव योग में माता महागौरी की पूजा करें. उससे पूर्व परिघ योग है, यह शुभ नहीं माना जाता है.
3. माता महागौरी को फूल, अक्षत्, दीप, गंध, धूप, फल, मिठाई, श्रृंगार सामग्री, वस्त्र आ​दि चढ़ाकर पूजा करें. फिर माता महागौरी की कथा पढ़ें. इस समय आप दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती का भी पाठ कर सकते हैं.
4. पूजा का समापन माता महागौरी की आरती से करें. यदि उनकी आरती उपलब्ध नहीं है, तो मां दुर्गा की आरती करें. आरती के लिए घी का दीपक या फिर कपूर का उपयोग कर सकते हैं. इसके बाद कन्या पूजन कर सकते हैं.
5. पूजा के समापन के समय माता महागौरी से अपनी मनोकामना व्यक्त कर दें. उनसे उसे पूरी करने की प्रार्थना करें.
6. दिनभर फलाहार पर व्यतीत करें. अगले दिन सुबह स्नान के बाद पूजा करें. किसी गरीब ब्राह्मण को दान ​दक्षिणा देकर प्रसन्न करें. फिर पारण करके व्रत को पूरा करें.
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