जानिए चैत्र माह में भूलकर भी न करें इन चीजों का सेवन

हिंदू धर्म में चैत्र माह का विशेष महत्व होता है। भारतीय नव वर्ष की शुरुआत चैत्र मास से ही होती है।

Update: 2022-03-20 03:36 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में चैत्र माह का विशेष महत्व होता है। भारतीय नव वर्ष की शुरुआत चैत्र मास से ही होती है। किसी भी नए माह की शुरुआत पूर्णिमा के बाद अगले दिन से होती है। इस साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा 17 मार्च को है और इसके अगले दिन यानी 18 मार्च से चैत्र माह की शुरुआत हो रही है। 18 मार्च से शुरू हो रहा ये महीना 17 अप्रैल तक रहेगा। हर महीने की तरह इस महीने का भी विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस महीने वसंत ऋतु का अंत होता है और ग्रीष्म ऋतु आरंभ होती है। चैत्र माह में ही सबसे पावन पर्व नवरात्रि पड़ती है। इस दौरान मां दुर्गा की आराधना कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है। इसके अलावा इस माह में कुछ चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। कहा जाता है कि इस महीने गुड़ और मिश्री का सेवन निषेध होता है। आइए जानते हैं कि आखिर क्या है इसके पीछे की वजह...

चैत्र माह में क्यों नहीं खाते गुड़ और मिश्री?
चैत्र माह में कई व्रत और त्योहार पड़ते हैं और व्रत के दौरान नमक का सेवन नहीं किया जाता। ऐसे में लोग ज्यादातर मीठी चीजों का सेवन करते हैं। गुड़ और मिश्री अत्यधिक मीठी होती हैं। इन दो मीठी चीजों का सेवन व्यक्ति के लिए समस्याएं पैदा कर सकता है। इसलिए अपनी सेहत को ध्यान में रखते हुए उसे इन दो चीजों के अलावा मीठी चीजों से परहेज करना चाहिए।
खट्टे फलों को भी न करें शामिल
मान्यता है कि चैत्र माह में मीठी चीजों के अलावा खट्टे फलों को भी शामिल न करें। इस महीने भारत में गर्मी और शर्दी का संधिकाल होता है। ऐसे में कम और संतुलित भोजन खाना ही सही रहता है।
क्यों नहीं करना चाहिए चाहिए इन चीजों का सेवन ?
चैत्र माह में नवरात्रि का पर्व भी होता है, जिसमें माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान ज्यादातर लोग व्रत रखते हैं और माता से ये मन्नत मांगते हैं कि उनका जीवन आनंदमय और खुशहाल रहे। साथ ही इस दौरान व्रत संकल्प साधना से महाशक्ति का संचय किया जाता है। कहते हैं कि इस माह में दिन में गर्मी और रात में सर्दी होती है, इसलिए शरीर को दैहिक तापमान के संतुलन के लिए ज्यादा प्रयास करना पड़ता है। ऐसे में खाने-पीने पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
इन चीजों का करें सेवन
चैत्र माह में शीतला माता के साथ नीम की पूजा की जाती है। प्रसाद रूप में भी नीम की पत्तियां खाई जाती हैं। इसके अलावा मौसम बदलने की वजह इस महीने कई बीमारियां भी होती हैं। ऐसे में नीम के पत्ते आदि का सेवन शरीर में वात-पित्त-कफ का संतुलन बेहतर बनाए रखता है। शीतला माता को रोगाणुओं का नाशक माना गया है। ऐसे में इस माह शीतला माता की पूजा करना और नीम की पत्तियों का सेवन लाभकारी माना गया है।
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