आज भीष्म अष्टमी पर जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को भीष्म अष्टमी कहते हैं। इस तिथि पर व्रत करने का विशेष महत्व है। इस बार यह व्रत 8 फरवरी (मंगलवार) यानि कल रखा जाएगा। धर्म शास्त्रों के अनुसार इस दिन भीष्म पितामह ने सूर्य

Update: 2022-02-08 02:17 GMT

माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को भीष्म अष्टमी कहते हैं। इस तिथि पर व्रत करने का विशेष महत्व है। इस बार यह व्रत 8 फरवरी (मंगलवार) यानि कल रखा जाएगा। धर्म शास्त्रों के अनुसार इस दिन भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने पर अपने प्राण त्यागे थे। इस दिन प्रत्येक हिंदू को भीष्म पितामह के निमित्त कुश, तिल व जल लेकर तर्पण करना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से सुसंस्कारी संतान की प्राप्ति होती है। इस दिन पितामह भीष्म के निमित्त तर्पण करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इस दिन को पितृदोष निवारण के लिए भी उत्तम माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो लोग उत्तरायण में अपने प्राण त्यागते हैं, उनको जीवन-मृत्यु के चक्र से छुटकारा मिल जाता है, वे मोक्ष को प्राप्त करते हैं। आइए जानते हैं कि इस वर्ष भीष्म अष्टमी तिथि, मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि के बारे में।

भीष्म अष्टमी तिथि एवं मुहूर्त

अष्टमी तिथि आरंभ: 08 फरवरी, मंगलवार, प्रात: 06: 15 मिनट से

अष्टमी तिथि समाप्त: 09 फरवरी, बुधवार। प्रातः 08:30 मिनट पर

शुभ मुहूर्त

भीष्म अष्टमी का मुहूर्त : प्रातः 11: 29 मिनट से दोपहर 01:42 मिनट तक

भीष्म अष्टमी का महत्व

मान्यता के अनुसार, भीष्म अष्टमी का व्रत जो व्यक्ति करता है उसके सभी पाप दूर हो जाते हैं। साथ ही उन्हें पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है। इस दिन भीष्म पितामह का तर्पण जल, कुश और तिल से किया जाता है। श्रीमद्भगवद्गीता में बताया गया है कि किस तरह अर्जुन के तीरों से घायल होकर महाभारत के युद्ध में जख्मी होने के बावजूद भीष्म पितामह 18 दिनों तक मृत्यु शैय्या पर लेटे थे। इसके बाद उन्होंने माघ शुक्ल अष्टमी तिथि को चुना और मोक्ष प्राप्त किया।


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