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सनातन परंपरा से संबंधित शास्त्रों में वर्णन आता है
सनातन परंपरा से संबंधित शास्त्रों में वर्णन आता है कि दुनिया में सात ऐसे चिरंजीवी हैं, जो आज भी मौजूद हैं. जिनमें अश्वत्थामा, बलि, भगवान परशुराम, विभीषण, महर्षि व्यास, कृपाचार्य और संकटमोचन कहलाने वाले महावीर हनुमान जी शामिल हैं. ये सात लोग ऐसे हैं, जिन्हें अमरता का वरदान मिला हुआ है. मान्यता है कि श्री राम और माता सीता की सेवा से मिले वरदान के बाद श्री हनुमान जी अमर हो गए. हनुमान जी एक ऐसे देवता हैं जो हर युग में मौजूद रहे हैं, वहीं कलयुग में तो इनकी साधना सबसे ज्यादा कल्याणकारी मानी गई है.
आखिर कहां पर रहते हैं हनुमान
सामान्य तौर पर माना जाता है कि पृथ्वी पर श्री हनुमान जी उन सभी जगह पर मौजूद रहते हैं, जहां पर भगवान श्री राम का भजन, कीर्तन या पूजन चल रहा होता है. वहीं मान्यता यह भी है कि श्री हनुमान जी आज भी कैलाास पर्वत के उत्तर दिशा की ओर एक खास स्थान पर निवास करते हैं. श्री हनुमान जी के निवास स्थल का वर्णन कई ग्रंथों में मिलता है. पुराणों के अनुसार श्री हनुमान जी कलियुग में गन्धमादन पर्वत पर निवास करते हैं.
भीम को यहां पर हुए थे हनुमान जी के दर्शन
पौराणिक कथा के अनुसार अपने अज्ञातवास को बिताने के लिए पांडव हिमवंत पार करके गंधमादन पर्वत पहुंचे थे. वहां पर जब एक बार भीम गंधमादन पर्वत के वन में सहस्त्रदल कमल लेने के लिए गये तो उन्होंने पाया कि एक बड़ा सा वानर उनके रास्ते में अपनी पूंछ फैला कर लेटा हुआ है. तब भीम ने उस वानर से अपनी पूंछ हटाने को कहा. जिस पर वानर के रूप में लेटे श्री हनुमान जी ने भीम से कहा तुम खुद ही हटा दो. ऐसा कहने पर भीम ने पूंछ को हटाने की भरसक कोशिश की लेकिन वह टस से मस न हुई. तब भीम को अहसास हुआ कि वे कोई साधरण वानर नहीं बल्कि पवनपुत्र हनुमान हैं. इसके बाद उन्होंने हनुमान जी को प्रणाम किया. हनुमान जी ने भीम के बल का अभिमान दूर कर दिया था. कहते हैं कि इसी पर्वत पर एक मंदिर है, जिसमें हनुमान जी की मूर्ति के साथ उनके आराध्य श्री राम और माता सीता की मूर्ति भी है.