घर में लगे आईने या शीशे का इस्तेमाल अक्सर हम अपने आप को देखने के लिए ही करते है, तैयार होने के बाद यदि आइना ना मिले तो अधूरा सा लगता है। लेकिन शीशे का वास्तु शास्त्र में भी महत्त्व है। यह सिर्फ आपकी सुंदरता ही नहीं दिखता है बल्कि अगर इसका सही से इस्तेमाल किया जाये तो घर में सकारात्मकता और खुशहाली भी लाता है, वही इसके गलत तरीके से इस्तेमाल से घर में नकारात्मकता भी प्रवेश करती है। वास्तु शास्त्र में घर में रखे आईने या शीशे का भी महत्त्व है। वैसे तो घर में किसी भी प्रकार की अनुपयोगी वस्तुएं नहीं रखना चाहिए लेकिन कभी कोई वस्तु यदि हम घर में गलत स्थान पर रख दें तो उसे तुरंत ठीक कर देना चाहिए। वास्तु दोष होने के कारण घर में धन की कमी होती है और आर्थिक परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता है। आज हम आपको शीशे से जुड़े शकुन और अपशकुन के बारे में बताएंगे। वास्तु के इन टिप्स को अपनाकर आप अपनी कायो परेशानियों को आसानी से समाप्त कर सकते हैं।
* यदि घर का आईना अचानक ही टूट जाये तो ऐसा माना जाता है की कोई अपशगुन हो गया है और यह शुभ नहीं माना जाता। लेकिन वास्तु के अनुसार शीशे का टूटना ऐसा माना जाता है की घर पर आने वाला कोई संकट टूटे दर्पण ने अपने ऊपर ले लिया है। ऐसे में टूटे आईने को तुरंत घर से बाहर कर देना चाहिए। इसके अलावा घर में टूटा-फूटा, नुकीला, धुंधला दिखने वाला या गंदा कांच भी नहीं रखना चाहिए।
* वास्तु के अनुसार शीशे को कभी भी बैडरूम में नहीं रखना चाहिए। यदि आपको बैडरूम में शीशा रखना है तो ऐसे स्थान पर रखें जहां पर सुबह उठते ही आपको शीशा ना दिखे।
* वास्तु के अनुसार यदि शीशे के फ्रेम का कलर तीखा या भड़कीला नही होना चाहिए, घर में केवल नीला, सफेद, हरा, क्रीम या ऑफ व्हाइट कलर वाले फ्रेम के आईने ही रखने चाहिए। वास्तु के अनुसार गोल और अंडाकार शेप का शीशा भी घर में नहीं रखना चाहिए, ऐसा शीशा घर की पॉजिटिव ऊर्जा को ख़त्म कर नकारात्मकता लाता है।
* घर के पछिम या दक्षिण दिशा में शीशा नहीं रखना चाहिए। वास्तु के अनुसार यह शुभ नहीं माना जाता। इसलिए इस दिशा में कभी भी शीशा ना लगाए।
* घर में लगे शीशे में कभी भी धूल ना जमने दें। इसके अलावा यदि आपके घर में बेसमेंट है या फिर दक्षिण या पछिम में टॉयलेट या बाथरूम है तो पूर्वी दिवार में वर्गाकार दर्पण लगा सकते हैं। इससे वास्तु दोष समाप्त होता है।