जानिए इन शुभ योग, सावन में पूजा पाठ, स्नान, दान के महत्व के बारे में

सावन माह (Sawan) का प्रारंभ आज से हुआ है. सावन को हरिहर का रूप माना जाता है.

Update: 2022-07-14 09:20 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सावन माह (Sawan) का प्रारंभ आज से हुआ है. सावन को हरिहर का रूप माना जाता है. हरिहर का अर्थ है: हरि यानी भगवान विष्णु और हर यानी भगवान शिव (Lord Shiva). इसका अर्थ है कि सावन माह में भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करना उत्तम फलदायी होता है. इस साल सावन माह के 16 दिन शुभ योग बने हुए हैं. 6 दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और 8 दिन रवि योग हैं. बाकी एक दिन द्वि-पुष्कर योग और एक दिन अमृत सिद्धि योग है. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं इन शुभ योग, सावन में पूजा पाठ, स्नान, दान आदि के महत्व के बारे में.

सावन 2022 के विशेष शुभ योग
सर्वार्थ सिद्धि योग: 15 जुलाई, 19, 21, 23, 25 और 28 जुलाई को.
रवि योग: 20 जुलाई, 01 अगस्त, 4, 6, 7, 8, 10 और 11 अगस्त को.
राजयोग द्वि-पुष्कर योग: 24 जुलाई को.
अमृत सिद्धि योग: 25 जुलाई को.
सावन सोमवार व्रत 2022
सावन का पहला सोमवार व्रत: 18 जुलाई
दूसरा सोमवार व्रत: 25 जुलाई
तीसरा सोमवार व्रत: 01 अगस्त
चौथा सोमवार व्रत: 08 अगस्त
सावन में शिव पूजा
चातुर्मास का पहला माह सावन है, जिसमें पूजा-पाठ के साथ खाने-पीने पर ध्यान रखा जाता है. चातुर्मास के चार माह में क्रमशः सावन में शिव, भाद्रपद में गणेश, अश्विन में देवी और कार्तिक माह में भगवान विष्णु की आराधना करते हैं. सावन के दिनों में चांदी या पीतल के पात्र में शिवलिंग पर दूध अर्पित करना चाहिए. साथ ही जल, बेलपत्र, धतूरा, भांग, आंकड़े के फूल, शहद, चंदन, भस्म और जनेऊ भी अर्पित करना चाहिए.
सावन में शिव, विष्णु और शु्क्र की पूजा का महत्व
सावन पूर्णिमा को चंद्रमा श्रवण नक्षत्र में रहता है, इसलिए श्रवण नक्षत्र से श्रावण माह का नाम रखा गया है. सावन पूर्णिमा तिथि पर श्रवण नक्षत्र में रक्षाबंधन मनाते हैं. सावन में भगवान विष्णु की भी पूजा करते हैं. सावन माह के देव शुक्र हैं. इस माह में शिवजी के साथ भगवान विष्णु के श्रीधर स्वरूप की पूजा करते हैं. इस माह में शुक्र और भगवान विष्णु की पूजा करने से दांपत्य जीवन सुखमय होता है. इस वजह से सावन में भगवान शिव, विष्णु और शुक्र की पूजा हर शादीशुदा जोड़े को करना चाहिए.
स्नान-दान का महत्व
स्कंदपुराण के अनुसार, सावन माह में एक समय ही भोजन करना चाहिए. पानी में बेलपत्र या आंवला डालकर स्नान करें. इससे पाप नष्ट होते हैं. तीर्थ के जल से नहाने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है. साधु और संतों को कपड़े दान करना चाहिए. चांदी के पात्र में दूध, दही या पंचामृत, तांबे के बर्तन में अन्न, फल आदि का दान करना चाहिए.
सावन में क्या नहीं करें
1. सावन में पत्तियों वाली सब्जियां नहीं खाते हैं.
2. तामसिक भोजन और नशा से दूर रहें.
3. दूध और उससे बनी चीजों का सेवन न करें.
4. सावन में मसालेदार खाने से परहेज करें.
5. श्रावण में ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करें.
6. एक समय भोजन और एक समय फलाहार करना चाहिए.
7. सावन में दोपहर में सोना वर्जित होता है.
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