जानिए चांदी के बर्तनों के महत्व के बारे में..
चांदी के बर्तनों का प्रयोग पूजा-पाठ, शादी-विवाह, लेन-देन जैसे कई अवसरों पर किया जाता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ज्योतिष में पेड़-पौधे, वस्त्र, रत्न और ग्रह-नक्षत्रों के बारे में जिस तरह इनके महत्व के बारे में बताया गया है, ठीक ऐसे ही ज्योतिष में धातु के महत्व के बारे में जिक्र किया गया है. ज्योतिष के अनुसार सोना, चांदी, पीतल, लोहा जैसी सभी धातुओं का संबंध किसी न किसी ग्रह से होता है, जिसका प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है. बात करें चांदी की तो, ज्योतिष में चांदी को शुद्ध और पवित्र धातु बताया गया है. यही कारण है कि हिंदू धर्म में चांदी का प्रयोग सबसे ज्यादा किया जाता है. दिल्ली के आचार्य गुरमीत सिंह से जानते हैं चांदी के बर्तनों के महत्व के बारे में..
चंद्र और शुक्र ग्रह का धातु है चांदी
चांदी के बर्तनों का प्रयोग पूजा-पाठ, शादी-विवाह, लेन-देन जैसे कई अवसरों पर किया जाता है. वास्तु में भी चांदी के बर्तनों को शुभ माना गया है. इसके प्रयोग से घर पर सुख-समृद्धि आती है. चांदी का संबंध चंद्रमा और शुक्र ग्रह से होता है, इसलिए चांदी धातु के प्रयोग से कुंडली में चंद्रमा और शुक्र ग्रह भी मजबूत होते हैं.
चांदी के बर्तन से जुड़ा है सुख-सौभाग्य
घर पर स्टील, पीतल और कांच आदि कई तरह के बर्तन होते हैं. लेकिन घर पर चांदी के बर्तन होना बेहद शुभ माना जाता है. यदि आप खाने-पीने के लिए चांदी के बर्तनों का प्रयोग नहीं कर सकते तो भगवान की पूजा के लिए चांदी के बर्तनों का प्रयोग जरूर करें. पूजा के मंदिर में चांदी का दीपक, कटोरी, घंटी, आमचनी और कलश होना शुभ होता है. इससे घर पर सुख-संपन्नता आती है.
ऐसे करें चांदी के बर्तनों का प्रयोग
चांदी के बर्तनों के प्रयोग से कई तरह की बीमारियों से छुटकारा मिलता है. चांदी के ग्लास में पानी पीने से सर्दी-खांसी ठीक होती है. चांदी की कटोरी और चम्मद से बच्चों को शहद खिलाना चाहिए. लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि हमेशा शुद्ध चांदी का ही प्रयोग करना चाहिए. इसके अलावा जिन लोगों को भावनात्मक परेशानियां होती है, उन्हें चांदी के बर्तनों के प्रयोग से बचना चाहिए.