Sharad Purnima vrat जानिए समय से लेकर विधि तक, पूजा मुहूर्त

Update: 2024-10-16 10:58 GMT
Sharad Purnima vrat ज्योतिष न्यूज़ : हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि को बेहद ही खास माना गया है जो कि हर माह में एक बार आती है लेकिन शरद पूर्णिमा सबसे अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है जो कि माता लक्ष्मी की साधना आराधना को समर्पित दिन होता है इस दिन देवी साधना उत्तम फल प्रदान करती है और दुख संकट को दूर कर देती है।
शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन ही चंद्रमा धरती के सबसे अधिक करीब होता है और अमृत वर्षा करता हैं। इस साल शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर दिन बुधवार यानी आज मनाई जा रही है। इस दिन पूजा पाठ और व्रत करना लाभकारी माना जाता है, ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा
पूजा विधि
और चंद्रमा दर्शन का शुभ समय बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
 चंद्रमा दर्शन का शुभ मुहूर्त—
पंचांग के अनुसार शरद पूर्णिमा व्रत 16 अक्टूबर दिन बुधवार यानी की आज रखा जा रहा है। इसकी शुरुआत 16 अक्टूबर की रात 8 बजकर 40 मिनट पर हो रही है। जो कि अगले दिन 5 बजकर 5 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। वही चंद्र उदय शाम 5 बजकर 5 मिनट पर होगा। चंद्र देव की पूजा के बाद व्रती अपने व्रत का पारण विधिवत तरीके से कर सकते हैं।
 शरद पूर्णिमा पर ऐसे करें पूजा—
आपको बता दें कि शरद पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर स्नान आदि करें इसके साफ वस्त्रों को धारण करें। अब तांबे के लोटे में जल, लाल पुष्प और अक्षत मिलाएं इसके बाद भगवान सूर्यदेव को जल अर्पित करें अब घर के मंदिर में एक चौकी रखें उस पर लाल वस्त्र बिछाकर माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। अब देवी मां को लाल पुष्प, फल, सुपारी, लौंग, इलायची, सिंदूर, बताशा और अक्षत अर्पित करें इसके साथ ही माता को चावल से बनी खीर का भोग लगाए। इसके बाद देवी के मंत्रों का जाप कर माता की आरती करें। अब शाम को चंद्रोदय के बाद चंद्र देव को जल अर्पित करें साथ ही मंत्रों का जाप करें। फिर चांद की रोशनी में खीर रखें अगले दिन पूजा करने के बाद उसी खीर का प्रसाद ग्रहण करें।
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