जाने भद्राकाल बारे में ,भद्राकाल के समय होलिका दहन क्यों नहीं करना चाहिए

होली 2021 का त्योहार 28 और 29 मार्च को देशभर में मनाया जाएगा. 28 मार्च को होलिका दहन होगा और इसके अगले दिन रंगों की होली खेली जाएगी. 28 मार्च को ही भद्राकाल भी पड़ेगा

Update: 2021-03-20 14:30 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेसक | होली 2021 का त्योहार 28 और 29 मार्च को देशभर में मनाया जाएगा. 28 मार्च को होलिका दहन होगा और इसके अगले दिन रंगों की होली खेली जाएगी. 28 मार्च को ही भद्राकाल भी पड़ेगा. होलिका दहन या किसी भी शुभ काम को कभी भी भद्राकाल में नहीं किया जाता क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है.

हालांकि अच्छी बात ये है कि भद्राकाल 28 मार्च की दोपहर 1 बजकर 54 मिनट तक ही रहेगा. वहीं होलिका दहन का शुभ समय शाम 6 बजकर 37 मिनट से रात 8 बजकर 56 मिनट तक रहेगा. इस तरह होलिका दहन तो भद्राकाल में नहीं किया जाएगा. लेकिन ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर भद्राकाल को अशुभ क्यों माना जाता है ? आइए आपको बताते हैं.
ये है मान्यता
पौराणिक मान्यता के अनुसार भद्रा सूर्यदेव और उनकी पत्नी छाया की पुत्री थीं और शनिदेव की सगी बहन थीं. भद्रा देखने में बेहद कुरूप और भयंकर थीं. उनका रंग एकदम काला, दांत और केश बड़े-बड़े थे. वे स्वभाव से भी बहुत कड़क थीं और जन्म लेने के साथ ही उन्होंने शुभ कार्यों में विघ्न डालना प्रारंभ कर दिया था. वे अक्सर ऋषि-मुनियों के यज्ञ और अनुष्ठान में बाधा डालती थीं.
ये सब देखकर सूर्यदेव भी चिंतित हो गए और वे ब्रह्माजी के पास मदद मांगने पहुंचे. तब ब्रह्माजी ने भद्रा के स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए उन्हें पंचांग के प्रमुख अंग विष्टी करण में स्थान दे दिया. साथ ही कहा कि भद्रे! बव, बालव, कौलव आदि करणों के अंत में तुम निवास करो और जो व्यक्ति यात्रा, प्रवेश, मांगल्य कृत्य, रेवती, व्यापार, उद्योग आदि कार्य तुम्हारे समय में करे, उन्हीं में तुम विघ्न करो. जो तुम्हारा आदर न करे, उनका कार्य तुम बिगाड़ देना. ये कहकर ब्रह्माजी अपने लोक में चले गए और भद्रा तीनों लोकों में भ्रमण करने लगीं. जब वे मृत्युलोक में होती हैं, तब सभी शुभ कार्यों में बाधक या या उनका नाश करने वाली मानी जाती हैं.
भद्राकाल में होलिका दहन अनिष्ट के समान
मना जाता है कि भद्राकाल में होलिका दहन करना अनिष्ट करने के समान है. ये सिर्फ होलिका दहन करने वालों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे शहर या पूरे देश के लिए दुर्भाग्य और पीड़ा की वजह बन सकता है. यही वजह है कि कोई भी ज्योतिषाचार्य कभी भी ऐसे शुभ कार्य को भद्राकाल में करने की सलाह कभी नहीं देते हैं.
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