14 जनवरी को है खरमास, जाने कथा और महत्व
सनातन धर्म में खरमास का विशेष महत्व है। इस वर्ष 14 दिसंबर, 2021 से लेकर 14 जनवरी, 2022 तक खरमास लग रहा है। चतुर्मास की तरह खरमास में भी कोई मांगलिक यानी शुभ कार्य नहीं किया जाता है।
सनातन धर्म में खरमास का विशेष महत्व है। इस वर्ष 14 दिसंबर, 2021 से लेकर 14 जनवरी, 2022 तक खरमास लग रहा है। चतुर्मास की तरह खरमास में भी कोई मांगलिक यानी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। आसान शब्दों में कहें तो 14 दिसंबर से लेकर 14 जनवरी, 2022 तक विवाह, मुंडन और गृह प्रवेश आदि शुभ कार्य नहीं कर सकते हैं। खरमास समाप्त होने के बाद मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं। आइए, जानते हैं कि क्यों खरमास में कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं-
क्या है कथा
शास्त्रों में निहित है कि सूर्यदेव ब्रह्मांड की परिक्रमा करते रहते हैं। इस दौरान उन्हें रुकने की अनुमति नहीं है। आसान शब्दों में कहें तो प्रकृति के अधीन होकर सूर्य देव कार्य करते हैं। इस वजह से सूर्य देव रुक नहीं सकते हैं। अगर रुकते हैं, तो पूरा ब्रह्मांड रुक जाएगा। इससे समस्त लोकों में हाहाकार मच जाएगा। हालांकि, लगातार परिक्रमा करने से रथ के अश्व थक जाते हैं। यह देख सूर्य देव ने एक बार अश्वों को विश्राम हेतु सरोवर के समीप छोड़ दिया और खर को रथ में बांधकर ब्रह्मांड की परिक्रमा करने लगे। वहीं, खर की गति धीमी होने के चलते किसी तरह एक माह का चक्र पूरा होता है। इसके बाद पुनः अश्वों को बांधकर परिक्रमा की। इसके लिए हर वर्ष खरमास लगता है।
क्यों शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं
ज्योतिषों की मानें तो खरमास के दिनों में सूर्यदेव धनु और मीन राशि में प्रवेश करते हैं। इसके चलते बृहस्पति ग्रह का प्रभाव कम हो जाता है। वहीं, गुरु ग्रह को शुभ कार्यों का कारक माना जाता है। लड़कियों की शादी के कारक गुरु माने जाते हैं। गुरु कमजोर रहने से शादी में देर होती है। साथ ही रोजगार और कारोबार में भी बाधा आती है। इसके चलते खरमास के दिनों में कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते है