घर का मंदिर बनवाते समय रखें इन वास्तु नियमों का ध्यान

भगवान का मंदिर हमारे दुखों को दूर करने का आसरा और हमारी जिंदगी की सुख–शांति का आधार होता है

Update: 2021-07-08 09:03 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क  |    भगवान का मंदिर हमारे दुखों को दूर करने का आसरा और हमारी जिंदगी की सुख–शांति का आधार होता है। आज कल शहर में बढ़ती दूरी और भीड़-भाड़ से बचने के लिए लोग घरों में ही पूजा का घर या मंदिर बनवाने लगे हैं। ऐसे में हमें घर में मंदिर बनवाते समय वास्तुशास्त्र का विशेष घ्यान रखना चाहिए क्योंकि वास्तुशास्त्र घर निर्माण में दिशा और स्थान का विशेष घ्यान रखा जाता है। ऐसा न करने पर हमारे सुख-चैन का आधार हमारा मंदिर कहीं हमारी मुसीबतों और परेशानियों का कारण न बन जाए। घर में मंदिर बनवाते समय वास्तु की इन बातों का जरूर रखें ध्यान।

1-वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में मंदिर बनवाने की सबसे शुभ दिशा पूर्व मानी जाती है। अगर संभव न हो तो उत्तर दिशा में भी मंदिर बनवा सकते हैं परंतु दक्षिण दिशा में मंदिर कभी भी नहीं बनवाना चाहिए।
2-वास्तु के अनुसार उत्तर या पूर्व दिशा में बैठकर पूजा करना सबसे ज्यादा लाभकारी होता है। इससे मन को शांति मिलती है और आपका ध्यान पूजा में आसानी से लगता है। व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
3- वास्तुशास्त्र और हिंदू धर्म के अनुसार मंदिर में भगवान की मूर्तियों को स्थापित करने की दिशा का भी जरूर घ्यान रखना चाहिए। भगवान विष्णु, शंकर जी, सूर्य भगवान, कार्तिकेय, गणेश जी और दुर्गा माता की मूर्तियों को पूर्व में रखना चाहिए और उनका मुंह पश्‍चिम की ओर रखना चाहिए, जबकि भैरव बाबा, कुबेर और हनुमान जी की मूर्तियों का मुंह दक्षिण दिशा की ओर रखा जाता है।

4- वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में मंदिर को कभी सीढ़ियों के नीचे नहीं बनवाना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में परेशानियां आने लगती हैं और घर की आर्थिक तरक्की भी रुक जाती है।
5- घर के मंदिर को कभी भी बेसमेंट में नहीं बनवाना चाहिए। इससे पूजा का पूरा फल प्राप्‍त नहीं प्राप्त होता है।
6- वास्‍तुशास्त्र के अनुसार घर के मंदिर या पूजा घर का रंग सफेद या क्रीम कलर का होना शुभ होता है।
7- पूजा का स्थान हमेशा स्वच्छ जगह पर होना चाहिए, शौचालाय या बाथरूम से जुड़ी हुई दीवार पर मंदिर नहीं बनाना चाहिए।
8- मंदिर में कभी भी खंडित या टूटी हुई मूर्तियां नहीं रखनी चाहिए। खंडित मूर्तियों की पूजा करने से फल की प्राप्ति नहीं होती तथा ऐसा करना अशुभ माना जाता है।


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