कन्या पूजन करते समय इन बातों का रखें ध्यान, मनोकामना होगी पूरी

नवरात्रि के अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन किया जाता है. कन्या पूजन करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती है

Update: 2021-10-12 03:35 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में नवरात्रि (Navratri) का विशेष महत्व होता है. इस दौरान मां दुर्गा की नौ स्वरूपों में पूजा अर्चना की जाती है. नवरात्रि के अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन (Kanya pujan) करने का विशेष महत्व होता है. अष्टमी के दिन 10 साल से कम उम्र की कन्याओं को देवी मानकर उनकी पूजा की जाती हैं. कन्या पूजन में मां दुर्गा के नौ देवियों के प्रतिबिंब के रूप में पूजा किया जाता है. इसके बाद ही नवरात्रि के दिन की पूजा संपूर्ण मानी जाती है. आइए जानते हैं कन्या पूजन से जुड़ी बातों के बारे में.

कन्या पूजन की विधि
नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन किया जाता है. इसके लिए कन्या को एक दिन पहले ही आमंत्रित किया जाता है. कन्याओं को आरामदायक और स्वच्छ जगह पर बिठाएं और इसके बाद अपने हाथों से उनके पैर धोएं और पैर छूकर आशीष लें. इसके बाद माथे पर अक्षत और कुमकुम का तिलक लगाएं. फिर इन कन्याओं को पूड़ी, हलवा, चना, खीर का भोजन करवाएं और अपने सामर्थ्य के अनुसार उपहार दें और पैर छूकर आशीष लें.
कन्या पूजन का महत्व
नवरात्रि की पूजा बिना कन्या पूजन की अधूरी मानी जाती है. मां दुर्गा की पूजा में हवन, तप, दान से उतना प्रसन्न नहीं होती हैं जितना कन्या पूजन कराने से होती हैं. कन्या पूजन करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती है और आपकी सभी मनोकामना को पूरा करती हैं.
कन्या पूजन में इन बातों का रखें ध्यान
कन्या पूजन में 2 से 10 साल की कन्याओं को आमंत्रित करें. पूजा से पहले इस बात का ध्यान का रखें कि घर में साफ- सफाई होनी चाहिए. शास्त्रों में दो साल की कन्या को पूजने से दुख और दरिद्रता दूर होती है. 3 साल की कन्या त्रिमूर्ती के रूप में मानी जाती हैं. त्रिमूर्ति कन्या की पूजन करने से घर में धन- धान्य आती है. चार साल की कन्या को कल्याणी माना जाता है. वहीं पांच साल की कन्या रोहिणी कहलाती है. इनकी पूजा करने से रोग- दुख दूर होता है. छह साल की कन्या को कालिका रूप कहा जाता है. कालिका रूप से विद्या और विजय की प्राप्ति होती है. सात वर्ष की कन्या को चंडिका. जबकि आठ वर्ष की कन्या शाम्भवी कहलाती है. नौ वर्ष की कन्या देवी दुर्गा कहलाती है और दस वर्ष की कन्या सुभद्र कहलाती है
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