पितृपक्ष के 15 दिनों में इन बातों का रखें ध्यान, जानें शास्त्रों के अनुसार

पितृपक्ष के दिनों में न करें ये काम

Update: 2021-09-07 16:02 GMT

Pitru Paksha 2021: हिंदू धर्म में पितृपक्ष (Pitru Paksha) का विशेष महत्व (Importance) होता है. इस वर्ष पितृपक्ष की शुरुआत 20 सितंबर से होने जा रही है. पितृपक्ष के इन 15 दिनों में हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं और पितरों के श्राद्ध और तर्पण करते हैं. ऐसी मान्यता है कि इन दिनों हमारे पितृदेव स्वर्गलोक से धरती लोक में अपने परिजनों (Family) से मिलने आते हैं. इसलिए इन विशेष दिनों में कुछ कामों को करने से बचना चाहिए, जिससे पितरों के मान-सम्मान में किसी तरह की कमी न हो. वह काम कौन से हैं आइये जानते हैं.

पितृपक्ष के दिनों में न करें ये काम
पितृपक्ष के दिनों में मांस, मछली, शराब जैसी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए. इन दिनों तामसिक भोजन की जगह सात्विक भोजन करना चाहिए और लहसुन व प्याज के सेवन से भी दूर रहना चाहिए.
पितृपक्ष में पान-तम्बाकू जैसी चीजों से भी दूरी बना कर रखना चाहिए. साथ ही धूम्रपान और मदिरापान भी नहीं करना चाहिए.
घर का वह व्यक्ति जो श्राद्ध संस्कार कर रहा है उसको ब्रह्मचर्य का पालन भी सख्ती के साथ करना चाहिए.
शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष के दिनों में दरवाज़े पर आये किसी भी व्यक्ति या पशु-पक्षी का अपमान नहीं करना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि इन दिनों में आपके पितृदेव किसी भी रूप में आ सकते हैं. इसलिए दरवाज़े पर आने वाले हर व्यक्ति और पशु-पक्षी का आदर करें और उसको भोजन ज़रूर करवाएं.
पितृपक्ष में कांच के बर्तनों का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. इन दिनों स्वयं और ब्राह्राणों का भोजन अगर आप पत्तल में करवाएंगे तो ऐसा करना श्रेष्ठ माना गया है.
पितृपक्ष के दिनों में घर के मुखिया या कर्मकांड करने वाले व्यक्ति को अपने बाल और नाखून नहीं कटवाने चाहिए. न ही शेव ही करवानी चाहिए.
पितृपक्ष के दिनों में लौकी, खीरा, चना, दाल, जीरा, नमक और सरसों का साग जैसी चीजों के सेवन से बचना चाहिए.
पितृपक्ष में शादी, मुंडन, सगाई जैसे किसी भी शुभ कार्य को नहीं करना चाहिए. न ही इन दिनों में शुभ कार्यों के लिए शॉपिंग ही करनी चाहिए.
श्राद्ध से जुड़े संस्कार कभी भी शाम या रात के समय नहीं करने चाहिए. इन कार्यों को दिन के उजाले में ही संपन्न करना चाहिए.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. जनता से रिश्ता इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)
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